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इस अनाज की रोटी करती है खून की कमी को पूरा, लागत कम मुनाफा 5 गुना

मिथिलांचल में एक पुराना गीत है, "मरूआ रोटी मारा माछ, कचरी गमके ओए अंगना..." यह गीत असली भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और मरूआ की रोटी की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट करता है। मरूआ की रोटी का अर्थ है स्वास्थ्य और पौष्टिक आहार, जो कि पुराने समय में बहुत महत्वपूर्ण था।
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Bread made from this grain compensates for blood deficiency, cost less and profit 5 times.

Bihar News : मिथिलांचल में एक पुराना गीत है, "मरूआ रोटी मारा माछ, कचरी गमके ओए अंगना..." यह गीत असली भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है और मरूआ की रोटी की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट करता है। मरूआ की रोटी का अर्थ है स्वास्थ्य और पौष्टिक आहार, जो कि पुराने समय में बहुत महत्वपूर्ण था।

मरूआ की रोटी: स्वाद और स्वास्थ्य का खास टेस्ट

मरूआ की रोटी का विशेष गुण यह है कि इसमें मारा किस्म की मछली और कचरी खाने का अपना अलग ही टेस्ट होता है। पुराने दौर में, मरूआ की रोटी का चलन बहुत ज्यादा था और इसकी मांग भी बड़ी थी।

बदलते समय के साथ मरूआ की रोटी का दौर

लेकिन बदलते समय के साथ, गेंहू की खेती और गेंहू की रोटी की लोकप्रियता बढ़ गई, जिसके कारण मरूआ की खेती कम हो गई। स्थिति यह हो गई कि आजकल के बच्चे मरूआ को नहीं जानते हैं।

भगवान महतो: मरूआ की खेती के प्रेरणास्पद किसान

इसके बावजूद, बिहार के सहरसा जिले के किसान भगवान महतो ने मरूआ की खेती का साहस किया है। उनका कहना है कि मरूआ की खेती में कम लागत में अधिक मुनाफा होता है और मेहनत भी कम लगती है।

पुराने और स्वास्थ्यवर्धक फसलों की विलुप्ति

आधुनिक युग में, किसान हाइब्रिड फसलों पर अधिक जोर देने लगे हैं, जिसके कारण पुरानी और स्वास्थ्यवर्धक फसलों की खेती धीरे-धीरे विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी है। इसमें मरूआका फसल भी शामिल है, जिसे किसानों ने ध्यान में रखा है।

मरूआ की खेती: कम लागत, बढ़ता मुनाफा

किसान भगवान महतो बताते हैं कि एक कट्ठा मरूआ की खेती में लगभग एक हजार का खर्च आता है, लेकिन फसल पूरी तरह से हो जाने के बाद इसका आटा तीन से चार गुना रेट में बिकता है।

मरूआ की रोटी: स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद

मरूआ की रोटी एक पौष्टिक अनाज है, जिसका सेवन करने से आपको अनीमिया जैसी बीमारियों का सामना नहीं करना पड़ता है। इसका चारा भी मवेशियों के लिए ताकतवर होता है और मवेशी इसे बड़े चाव से खाते हैं।

सरकार का समर्थन: मरूआ की खेती को बढ़ावा

अब सरकार भी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है, जिसका असर है कि बिहार के किसान अब धीरे-धीरे मरूआ की खेती करने लगे हैं।

मरूआ की खेती: मुनाफा का अच्छा स्रोत

एक कट्ठा मरूआ की खेती में लगभग एक हजार का खर्च होता है, लेकिन इससे तीन से चार गुना रेट में आटा बिकता है, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा होता है।

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