उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश को सीधा जोड़ेगा ये एक्सप्रेसवे, इन जिलों से गुजरेगा रूट
Uttar Pradesh : देश में जल्द ही तीन राज्यों में जाना आसान हो जाएगा। इसके उद्देश्य से ग्वालियर-आगरा एक्सप्रेस वे का निर्माण तेजी से पूरा हो रहा है। 88 किलोमीटर (6 लेन) लंबे इस एक्सप्रेस वे से तीन राज्यों के बीच संपर्क बढ़ेगा। मुख्य लक्ष्य उत्तर प्रदेश के आगरा को मध्य प्रदेश के ग्वालियर से जोड़ना है। इसके लिए भी चंबल नदी पर एक लटकते पुल बनाने की अनुमति दी गई है।
इस प्रोजेक्ट के बारे में
आगामी एक्सप्रेस वे देवरी गांव को ग्वालियर बाईपास पर स्थित सुसेरा गांव से जोड़ेगा जो आगरा के इनर रिंग रोड पर है। इसमें छह लेन की सड़क बनेगी जो भिंड और मुरैना से गुजरेगी। एक्सेस-कंट्रोल्ड हाईवे पर गाड़ी 100 km/h तक चल सकेगी। 502 हेक्टेयर जमीन इस परियोजना में उपयोग की जाएगी। रिपोर्टों के अनुसार, इसकी अनुमानित लागत 2,497.84 करोड़ रुपये है।
इन शहर-गांव से जुडे़गा, ग्वालियर-आगरा एक्सप्रेस वे
47 पुलिया, चार छोटे पुल और पांच बड़े पुल इसमें शामिल हैं। एक्सप्रेस वे आगरा के चौबीस गांवों, धौलपुर के 30 गांवों और मुरैना के कई क्षेत्रों से गुजरेगा। यह सुरेरा गांव में ग्वालियर एक्सप्रेस वे से लास्ट में जुड़ जाएगा। ग्वालियर-आगरा एक्सप्रेस वे की स्थापना से आगरा से ग्वालियर की दूरी दो से तीन घंटे कम हो सकती है। इटावा में बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, लखनऊ में आगरा एक्सप्रेस वे और कोटा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से जुड़ेंगे। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे का पूर्वी छोर इटावा के पास शुरू होगा और भिंड, मुरैना, ग्वालियर और शिवपुरी से गुजरेगा।
हजारों पेड़ों को काटकर किया जाएगा, जमीन अधिग्रहण
इस प्रोजेक्ट परियोजना को बनाने के लिए हजारों पेड़ों को काटा जाना है। कुल 4000 पेड़ों को हटाने की मंजूरी मिल गई है। संरक्षित ताज ट्रेपेजियम जोन में लगभग 755 पेड़ों को काटने की मंजूरी मिलनी बाकी है। हालांकि इसके बदले में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने 1.24 लाख पेड़ लगाने की बात कही है। इसका लगभग 85% शुरुआती काम पूरा किया जा चुका है। 550 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण हो चुका है, जिसके लिए 95% मुआवजा पहले ही दिया जा चुका है।
उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश के लोगों को एकजुट करने के लिए यह एक्सप्रेस एक अच्छा उपाय है। जिससे राज्यों के बीच यात्रा आसान होगी। नया एक्सप्रेस वे बिजनेस, पर्यटन और औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ाकर राज्यों की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा।