UP में 2024 तक नहीं रहेगी बिजली कमी, 1980 मेगावाट के इस नए प्लांट से बिजली उपभोक्ता होंगे निहाल
कानपुर के घाटमपुर पावर प्लांट की सभी यूनिटों को मई 2024 तक शुरू कराने का फैसला लिया गया है। पावर प्लांट के पहली यूनिट का सिन्क्रोनाइजेशन एक हफ्ते में शुरू हो जाएगा। टेस्टिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नवंबर तक यहां से उत्पादन भी शुरू होने का अनुमान है। इससे प्रदेश के बिजली किल्लत को दूर किया जा सकेगा। आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
Saral Kisan, UP : उत्तर प्रदेश में बिजली की कमी को दूर करने में घाटमपुर पावर प्लांट एक बड़ी भूमिका निभाने वाला है। प्रदेश के सभी इलाकों में बिजली की सुविधा को बेहतर बनाने के दावों को पूरा करने में भी इससे मदद मिलेगी। कई यूनिटों के बंद होने से प्रदेश में चल रहे बिजली संकट के बीच कानपुर में निर्माणाधीन घाटमपुर पावर प्लांट से अच्छी खबर आई है। एक हफ्ते में 660 मेगावॉट की पहली यूनिट का सिंक्रोनाइजेशन टेस्ट शुरू हो जाएगा। सब सही रहा तो नवंबर में इससे उत्पादन होगा। एनयूपीपीएल के सीईओ संतोष सीएस ने बताया कि फरवरी-2024 में दूसरी और मई में तीसरी यूनिट से बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इस पावर प्लांट से 1980 मेगावाट बिजली का उत्पादन होना है। इसके बन जाने से प्रदेश में बिजली की किल्लत को दूर करने में सफलता मिल जाएगी।
यह है प्रॉजेक्ट
कानपुर के घाटमपुर में यमुना किनारे 1980 मेगावॉट का सुपर क्रिटिकल प्लांट लग रहा है। कभी किसान आंदोलन तो कभी कोविड की दिक्कतों के चलते परियोजना 24 महीने लेट हो गई। कंपनी के कॉन्ट्रैक्टरों की लापरवाही ने भी काम को पीछे कर दिया। पहले कंपनी का लक्ष्य वित्तीय वर्ष 2023-24 में ही सारी यूनिटें चालू करने का था। केंद्र सरकार के कड़े निर्देंशों के बाद बीते कुछ महीनों में काम तेज गति से चल रहा है। प्लांट से उत्पादित बिजली की प्रति यूनिट लागत 5.30 रुपये होगी। उत्पादन का 20 प्रतिशत हिस्सा असोम को दिया जाएगा। बाकी बिजली का वितरण केंद्र और राज्य सरकार तय करेगी।
सिंक्रोनाइजेशन का समय
कंपनी के सीईओ ने बताया कि 660 मेगावॉट की पहली यूनिट का काम लगभग पूरा हो गया है। एक हफ्ते में इस यूनिट का सिंक्रोनाइजेशन टेस्ट होने की संभावना है। सब सही रहा तो नवंबर में इस इकाई से बिजली बनने लगेगी। 660-660 मेगावॉट की दूसरी और तीसरी यूनिट से इसी तरह फरवरी और मई में उत्पादन होने लगेगा। सीईओ ने बताया कि प्रधानमंत्री दफ्तर के अधिकारी इस प्रॉजेक्ट की खुद निगरानी कर रहे हैं। पहले जितनी भी बाधाएं थीं, वो सब निपट चुकी हैं। अब कहीं कोई दिक्कत नहीं है।
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