दुनिया की अजीबोगरीब जनजाति, ना हो जमीन खराब इसलिए नहीं दफनाते शव, पीते हैं खून
दुनिया ने भले ही तरक्की की हो, लेकिन आज भी कई ऐसी जनजातियां हैं जो परंपरागत तरीके से अपने जीवन का अद्वितीय तरीके से आनंद लेती हैं। इन जनजातियों का संस्कृति इस कदर विशेष और अद्वितीय है कि इसे देखकर आपको विचार करने की आवश्यकता हो सकती ह।
Saral Kisan - दुनिया ने भले ही तरक्की की हो, लेकिन आज भी कई ऐसी जनजातियां हैं जो परंपरागत तरीके से अपने जीवन का अद्वितीय तरीके से आनंद लेती हैं। इन जनजातियों का संस्कृति इस कदर विशेष और अद्वितीय है कि इसे देखकर आपको विचार करने की आवश्यकता हो सकती है कि ऐसा कैसे संभव है। एक ऐसी जनजाति है मसाई, जो केवल तब शव को दफनाने का काम नहीं करती है कि भूमि को नुकसान नहीं पहुंचे, बल्कि वे गाय के खून को चूस कर पीते हैं। यह परंपरा कई सदियों से चली आ रही है और आज भी लोग इसका पालन करते हैं।
मसाई जनजाति अफ्रीका में मसाई मारा, सेरेनगेटी, और अंबोसेली जैसे खुदरा प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्रों के पास पाई जाती है। इन्होंने हजारों सालों से पारंपरिक रूप से अपने जीवन को बनाया हुआ है। वे वनों और अरिद क्षेत्रों में बसकर गायों को चराने वाले लोग हैं, और उन्हें चरवाहा और योद्धा के रूप में पहचाना जाता है। इनकी संख्या दक्षिण केन्या और उत्तरी तंजानिया में लगभग दस लाख के पास है। मसाई जनजाति के लोग जीवन को गुज़ारने के लिए घूमने फिरने के तरीके के साथ गायों को चराने का काम करते हैं, ताकि उनके पशुओं को खराबी से बचाया जा सके।
इन लोगों का एक विशेष ड्रेस कोड भी है, जिससे उन्हें पहचाना जा सकता है। वे सभी लाल रंग के कपड़े पहनते हैं, जिसे "शुका" कहा जाता है। यह एक परंपरागत प्रथा है जो इन्हें अन्य आदिवासियों से अलग करती है, ताकि वे पहचाने जा सकें। समुदाय में सबसे बड़े व्यक्ति को "मुखिया" माना जाता है, और उसके निर्णयों के आधार पर सभी लोग काम करते हैं। यह एक दिलचस्प तथ्य है कि इन लोगों का एक विशेष ड्रेस कोड होता है, जिससे उन्हें पहचानने में मदद मिलती है। सभी लोग लाल रंग के कपड़े पहनते हैं, जिसे "शुका" कहा जाता है। यह एक परंपरागत प्रथा है जो इन्हें अन्य आदिवासियों से अलग करती है, ताकि वे पहचाने जा सकें।
एक और विशेषता है कि इनकी संपत्ति की मात्रा उनके पास उनके पशुओं और बच्चों की संख्या पर निर्भर करती है। इनके लिए जानवरों को महत्वपूर्ण माना जाता है, और उनके आहार के लिए अधिकांश रूप से दूध और मांस का सहारा लिया जाता है। बच्चे के जन्म या विवाह के अवसर पर परिवार के लोग जानवरों के खून को पीते हैं, खासकर गाय का खून। इसके लिए, पहले गाय को एक तीर से घायल किया जाता है और फिर परिवार के सदस्य उसका खून पीते हैं, यह सुनिश्चित करने के साथ कि गाय की मौत नहीं होती है। इनके लोगों का मानना है कि इससे उनकी रोग-रोक क्षमता मजबूत होती है, और कई बार ये लोग नशे कम करने के लिए भी खून पीते हैं।
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