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उड़ने वाली लड़की की अजीबो गरीब कहानी, असंभव को कर दिखाया संभव

स्वतंत्रता दिवस पर आज लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा था, 'आज हम गर्व से यह कह सकते हैं कि सिविल एविएशन में भारत के पास सबसे अधिक महिला पायलट हैं।' अपने स्पीच में पीएम ने विमानन क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों के बारे में भी बताया था।
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Strange story of flying girl, made the impossible possible
Success Story: स्वतंत्रता दिवस पर आज लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा था, 'आज हम गर्व से यह कह सकते हैं कि सिविल एविएशन में भारत के पास सबसे अधिक महिला पायलट हैं।' अपने स्पीच में पीएम ने विमानन क्षेत्र में हासिल की गई उपलब्धियों के बारे में भी बताया था। इसका जवाब जानी-मानी पायलट कैप्टन जोया अग्रवाल (Captain Zoya Aggarwal) ने एक सुंदर वीडियो के जरिए दिया है। 

जोया उत्तरी ध्रुव पर दुनिया के सबसे लंबे हवाई रूट्स में से एक सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु के बीच विमान उड़ाने वाली पहली महिला कैप्टन हैं। जोया ने कहा, 'पीएम मोदी ने अपने स्पीच में बताया कि दुनिया में सबसे अधिक महिला पायलट्स भारत में है। मुझे इस पर गर्व है। यह बताता है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में विकास का नेतृत्व कर सकती है।'

जोया अग्रवाल ने भारत का नाम ऊंचा किया है। उनकी कमान में एक महिला फ्लाइट इंडिया पायलट टीम ने साल 2021 में पहली बार दुनिया के सबसे लंबे फ्लाइट रूट की उड़ान भरी थी। उन्होंने सैन फ्रांसिस्को से बेंगलुरु तक फ्लाइट उड़ाई थी। इस तरह उन्होंने बोइंग 777 उड़ाते हुए उत्तरी ध्रुव को पार किया था। इससे पहले वे साल 2013 में बोइंग 777 उड़ाने वाली भारत की सबसे कम उम्र की महिला पायलट बनी थी। जोया एयर इंडिया में कैप्टन हैं।

जोया अग्रवाल का पायलट बनने का सफर दुश्‍वार‍ियों से भरा था। वह ऐसे पर‍िवार में पैदा हुई थीं जहां लड़‍क‍ियां पायलट बनने का सपना भी नहीं देख सकती थीं। जब पहली बार जोया ने मां से पायलट बनने की ख्‍वाह‍िश जाह‍िर की तो वह फूटफूटकर रोने लगी थीं। उन्‍हें लगा क‍ि ऐसी बावली लड़की उनके क्‍यों पैदा हुई। वे जोया कि शादी करना चाहती थीं।

जोया ने 8 साल की उम्र में आसमान छूने का सपना देखना शुरू कर दिया था। अब वे पूरी दुनिया में बोइंग 777 विमान उड़ा रही हैं। जोया के कंधे पर एक टैटू गुदा है। इस पर लिखा है 'बॉर्न टू फ्लाय'। 2004 में एयर इंडिया के साथ उन्‍होंने अपने सपनों की उड़ान को शुरू किया। संयुक्त राष्ट्र में कैप्‍टन जोया अग्रवाल को जेनरेशन इक्‍वलिटी के तहत महिला प्रवक्ता भी चुना गया।

जोया अग्रवाल अपने मां-बाप की इकलौती संतान हैं। जब उन्‍होंने पायलट बनने का सपना देखना शुरू किया था तो उनके सामने कोई रोल मॉडल नहीं था। फ्लाइट डेक में लड़कियों की एंट्री के बारे में सोचा तक नहीं जाता था। लेकिन जोया ने हार नहीं मानी। उन्होंने नामुमकिन को मुमकिन कर डाला। एक बार उन्होंने कहा था, 'सपने में भी पायलट बनने के बारे में नहीं सोचा जा सकता था। मैं उस युग में पैदा हुई थी जब भारत में लड़कियों से सिर्फ शादी करने की उम्‍मीद की जाती थी। 

जोया अग्रवाल का बचपन संघर्षों से भरा था। कभी-कभी उन्‍हें सड़क किनारे स्‍ट्रीटलाइट के नीचे बैठकर अपना होमवर्क करना पड़ता था। घर में अक्‍सर बिजली कट जाती थी। उन्होंने अपनी सेविंग्स से यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी की। वह बचपन से ही अपनी एजुकेशन के लिए एक पिग्‍गी बैंक में पैसे जोड़ती आ रही थीं। तीज-त्‍योहारों पर जो भी पैसे मिलते थे, वह उन्‍हें पिग्गी बैंक में डालती थीं। लेकिन जोया पढ़ाई में हमेशा अव्वल रही। यही वजह रही कि आखिरकार उनके मां-बाप मान गए और उसे पायलट बनने दिया।

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