Rajasthan के इस शहर का धान है काफी फेमस, खाड़ी देशों में मांग है सबसे ज्यादा
Kota News : राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में धान की फसल पक्की हो चुकी है, लेकिन मानसून सीजन में किसानों को चिंता सताई हुई है। धान की फसल में सबसे ज्यादा पानी की आवश्यकता होती है। ऐसे में कोटा, बूंदी, बारां, झालावाड़ जिलों में मानसून सीजन में अभी भी बारिश नहीं हुई है। राजस्थान के हाड़ौती जिले में सबसे ज्यादा धान की पैदावार होती है। हाड़ौती का धान पतला और अपनी सुगंध की वजह से बाहरी बाजार में भी इंपोर्ट होता है।
दरअसल, ईरान में बूंदी के धान की सबसे ज्यादा मांग होती है। किसान नेता गिर्राज गौतम ने बताया कि यहां किसानों ने धान की फसल को रोपा है। लेकिन मानसून सीजन में बारिश नहीं हो रही है। ऐसे में धान की फसल को खतरा था, लेकिन अब नहरों में पानी छोड़ दिया गया है। जिससे धान की फसल को संजीवनी मिल चुकी है।
धान की फसल की अगर बात की जाए तो पिछले वर्ष कोटा संभाग में धान का रकबा एक लाख पचास हेक्टयर कृषि भूमि में था और इस वर्ष यह बढ़कर एक लाख साठ हजार से ज्यादा हो गया है। इस बार दस हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में ज्यादा धान की फसल की रोपाई हुई है। हाड़ौती में सबसे ज्यादा धान बूंदी जिले में लगाया गया है। बूंदी जिले को धान का कटोरा भी कहा जाता है।
धान की कीमत की अगर बात की जाए तो पिछले वर्ष धान की औसत कीमत 4 हजार रुपये प्रति क्विंटल थी। इस वर्ष भी किसान उम्मीद लगाए बैठे हैं कि पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष धान की कीमत ज्यादा होगी। किसानों का मानना है कि इस वर्ष 4 हजार से अधिक कीमत होनी चाहिए। तभी किसानों को नुकसान से बचाया जा सकता है। मानसूनी सीजन में हाड़ौती के अंदर इस वर्ष बारिश कम होने के कारण किसानों की धान की फसल पर खतरा बन गया था। बोरिंग, ट्यूबवेल का जल स्तर काफ़ी नीचे जा चुका था।
किसान नेता गिर्राज गौतम ने बताया कि किसानों के आंदोलन के बाद नहरों में पानी छोड़ा गया है जो धान की फसल के लिए संजीवनी साबित हुआ है। नहरों में छोड़ा गया पानी 22 वर्षों के बाद धान की फसलों के लिए जल प्रवाह किया गया है। कोटा संभाग में उत्पादित चावल अपनी बात माती जैसी सुगंध और चावल के पतले और लंबे दाने के कारण ज्यादातर निर्यात किया जाता है और ईरान में इसकी अधिक मांग होती है।