एमपी के इस नेशनल हाईवे को किराए पर देगी सरकार, 25 साल तक का होगा समय
MP : एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, पोर्ट आदि को लीज पर देने की खबरें तो आपने खूब सुनी होंगी लेकिन इस बार खबर कुछ अलग है। अब राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) भी अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए नई-नई पहल कर रही है। अब सरकार नेशनल हाईवे (National high way on rent) को किराए पर देने जा रही है।
इसकी शुरुआत मध्य प्रदेश (madhya pardesh) के एनएच-34 से की जाएगी। यह हाईवे सिवनी जिले के लखनादौन से रीवा (Lakhnadon to Rewa) को जोड़ता है। यह हाईवे 287 किमी लंबा है और यह एक तय समय के लिए निजी हाथों में किराए पर दिया जाएगा। एनएचएआई (nhai) ने 20 से 25 वर्ष लीज पर देने का प्रावधान किया है।
दरअसल, जिस हाईवे को किराए पर दिये जाने का प्लान बनाया जा रहा है, वह पूर्ववर्ती एनएच-7 का हिस्सा है। एनएच-7 कश्मीर से कन्याकुमारी को आपस में जोड़ता था। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Prime Minister Atal Bihari Vajpayee) ने सड़कों के विकास के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज योजना (golden quadrilateral plan) बनाई थी, उसके तहत ही इस हाईवे को विकसित किया गया था।
एकमुश्त राशि के लिए बनाया प्लान-
एनएचएआई (NHAI) के अधिकारियों की मानें तो नई सड़कों का जाल बिछाने के लिए वित्त की व्यवस्था करने के लिए यह प्लान तैयार किया गया है। टोल की व्यवस्था में एकमुश्त राशि नहीं मिल पाती, ऐसे में अगर हाईवे को निजी हाथों में सौंपा गया तो एकमुश्त राशि मिल जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि एकमुश्त मिली राशि से नई सड़कों के बनाने के कार्यों में तेजी आएगी।
4348 करोड़ लागत, रोज 70-80 लाख वसूली-
एनएच-34 के लखनादौन से रीवा तक तक बने 287 किमी लंबे हाईवे का निर्माण वर्ष 2020 में पूरा हुआ था। हाईवे (HIGHWAY) के निर्माण में 4348 करोड़ रुपये की लागत आई थी। यहां पर लखनादौन से रीवा के बीच चार टोल नाके हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग 30 और 34 इसमें आते हैं। पहला टोल अमरपाटन, दूसरा मैहर, तीसरा टोल सिहोरा और चौथा टोल बरगी लगाए गए हैं। इन टोल से रोज करीब 70- 80 लाख रुपये की वसूली होती है।
क्या बंद होंगे टोल नाके?
वर्तमान समय में टोल वसूली (toll collection) के लिए एनएचएआई ने एजेंसी नियुक्त की है। यह एजेंसी निर्धारित कमीशन लेती है और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण टोल से होने वाली आय को लेता है। लेकिन जब निजी कंपनी हाईवे खरीद लेगी तो टोल से मिलने वाली पूरी आय कंपनी की होगी। कंपनी सिर्फ एकमुश्त राशि सरकार को देगी। अभी एनएचएआई सड़क से जुड़े आय-व्यय का आकलन कर रहा है। अप्रैल 2023 तक यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। इसी आधार पर निविदा की प्रक्रिया होगी। निविदा निकालकर निजी कंपनियों से ऑफर बुलाए जाएंगे।
इस मॉडल के तहत होगा कार्य-
हाईवे को किराए पर देने के लिए टीओटी मॉडल अपनाया जाएगा। इसे टोल-आपरेट-ट्रांसफर मॉडल (TOT) कहा जाता है। मॉडल के मुताबिक रोड का निर्माण एनएचएआई करता है। बाद में रखरखाव की अवधि पूरी होने के बाद उसे किसी संस्था या एजेंसी (AGENCY) को ठेके पर दिया जाता है। इसके बदले एक मुश्त राशि ली जाती है। एजेंसी इस दौरान टोल के जरिए आय लेती है।
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