Haryana के इस जिले में बनेगा देश का दूसरा सबसे बड़ा गौ अनुसंधान केंद्र, जमीन तलाश शुरू
Saral Kisan : हिसार की भूमि पर हरियाणा में गो संरक्षण एवं संवर्धन की रणनीति तैयार की जाएगी। आरएसएस से जुड़े विश्व हिंदू परिषद का गोरक्षा विभाग दूध-दही के राज्य में नए गो अनुसंधान केंद्र और गोशालाएं स्थापित करने पर मंथन कर रहा है। इसके तहत सोनीपत में देश का दूसरा सबसे बड़ा गो अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की तैयारी कर ली गई हैं, जिसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है। इन सभी बिंदुओं पर मंथन के लिए 16 अगस्त को हिसार में गोरक्षा विभाग की बैठक होगी, जिसमें प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा भी की जाएगी।
गो संरक्षण एवं संवर्धन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लंबे समय से कार्य कर रहा है। संघ से जुड़े विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्यकर्ता हरियाणा में विभिन्न गोशालाओं में जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हाल ही में विश्व हिंदू परिषद ने गोसेवा में लगे चार विभागों को मिलाकर एक गोरक्षा विभाग तैयार किया है।
इसके तहत हरियाणा में भी गो संरक्षण एवं संवर्धन पर नई रणनीति के तहत कार्य होगा। प्रदेश में गो अनुसंधान केंद्र और गोशालाएं स्थापित करने की तैयारी है। इसी के तहत सोनीपत में विहिप द्वारा संचालित देश का दूसरा सबसे बड़ा गो अनुसंधान केंद्र बनाया जाएगा। इसके लिए हाईवे किनारे की जमीन की तलाश की जा रही है। इसी तरह हिसार, रोहतक, करनाल, जींद, गुरुग्राम, पानीपत में गोशालाएं स्थापित करने की तैयारी है।
गोरक्षा विभाग की प्रदेश की पहली बैठक हिसार में 16 अगस्त को होगी, जिसमें विश्व हिंदू परिषद के अखिल भारतीय मंत्री एवं गोरक्षा विभाग के प्रमुख दिनेश उपाध्याय शामिल होंगे। बैठक में प्रदेशभर के पदाधिकारियों की बैठक में प्रदेश कार्यकारिणी की घोषणा भी की जाएगी।
विश्व हिंदू परिषद के लाखों कार्यकर्ता देशभर में गो संरक्षण एवं संवर्धन के कार्य में लगे हैं। इसी के तहत महाराष्ट्र के बाद दूसरा सबसे बड़ा गो अनुसंधान केंद्र सोनीपत में बनाया जाएगा, जिसके लिए स्थान की तलाश की जा रही है। हरियाणा में गोरक्षा विभाग की पहली बैठक 16 अगस्त को हिसार में होगी, जिसमें प्रदेश कार्यकारिणी घोषित की जाएगी। अनुसंधान से जुड़े केंद्र तथा गोशालाएं संचालित करने पर भी विचार किया जा रहा है।
गायों की उन्नत नस्लों का होगा संरक्षण
हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश में कई उन्नत नस्लों की गायें हैं, जिनके संरक्षण और संवर्धन पर कार्य किया जाएगा। इन नस्लों में साहीवाल, राठी, हरियाणवी, कांकरेज, लाल सिंधी शामिल हैं।
ये पढ़ें : मटर की इन 5 किस्मों की करें अगेती खेती, मिलेगा 3.5 लाख का मुनाफा