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Tenant's Rights : मकान मालिक एक साल में मकान का कितना किराया बढ़ा सकता है, जाने अपने कानून

Rent Agreement in Delhi : शहर में नौकरी करने वाले लोगों का मानना है कि किराए पर रहना बेहतर है क्योंकि वे खुद का फ्लैट या नया घर नहीं खरीद सकते हैं। लेकिन किराए पर रहने वाले मकान मालिकों ने किराया बढ़ाना शुरू कर दिया। तो चलिए किराएदार कानून का विस्तार से विवरण नीचे पढ़ें..
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Tenant's Rights: How much can the landlord increase the house rent in a year, know your laws

Saral Kisan : शहरों और महानगरों में मकान किराये पर देना एक उद्योग बन गया है क्योंकि देश में शहरीकरण लगातार बढ़ता जा रहा है। शहरों में रोजगार के लिए आकर रहने वाले लोगों के पास पर्याप्त धन नहीं होता कि वे फ्लैट खरीद सकें या अपना घर बनवा सकें। यही कारण है कि उनके पास मकान किराये पर लेकर रहना सबसे आसान और आम विकल्प है। ऐसे में, अधिक किरायेदारों और कम उपलब्ध मकानों के कारण अक्सर किरायेदारों को ऊंची दरों पर घर खरीदना पड़ता है।

यही नहीं, समय-समय पर मकान मालिक की मर्जी के मुताबिक किराये में बढ़ोतरी भी करके उनकी परेशानी बढ़ा देते हैं. इसे देखते हुए ही विभिन्न राज्यों की सरकारों ने अपने यहां नया किरायेदारी कानून लागू कर रखे हैं. मिसाल के तौर पर महाराष्‍ट्र, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में अपने-अपने किराया कानून लागू हैं।

इन किराया कानूनों में जहां किरायेदारों को मकान मालिकों की मनमानी से बचाने के उपाय किए गए हैं, वहीं मकान मालिकों को भी कई अधिकार दिए गए हैं।

महाराष्ट्र में ये है नियम

महाराष्ट्र में 31 मार्च, 2000 से ही महाराष्ट्र किराया नियंत्रण अधिनियम लागू किया जा चुका है. इस कानून के तहत मकान मालिक किराए पर दिए गए परिसर के किराए में प्रतिवर्ष 4% की वृद्धि करने के हकदार हैं।

इसके अलावा संपत्ति की स्थिति में सुधार के लिए यदि मरम्मत, बदलाव या सुधार का कार्य करवाया जाता है, तो भी किराए में वृद्धि की जा सकती है। हालांकि, ऐसी स्थिति में किराये में की जाने वाली बढ़ोतरी कराए गए निर्माण कार्य की लागत के 15% से अधिक नहीं हो सकती.
करों में बढ़ोतरी होने पर मकान मालिक को उसकी अदायगी के लिए भी वार्षिक किराया बढ़ाने का अधिकार है. ऐसी स्थिति में किराए में वृद्धि बढ़े हुए कर की राशि से अधिक नहीं होनी चाहिए।

दिल्‍ली में लागू है ये कानून

दिल्ली में इस बारे में 2009 का रेंट कंट्रोल एक्ट लागू है, जिसमें कहा गया है कि संपत्ति में अगर वहीं किरायेदार लगातार रह रहा है, तो मकान मालिक या पट्टेदार को सालाना सात फीसदी (7%) से अधिक किराया बढ़ाने की इजाज़त नहीं है।

यूनिट खाली होने पर मकान मालिक को नए किरायेदारों से किराया बढ़ा कर लेने का अधिकार इस कानून में दिया गया है. इसके अलावा, छात्रावास, बेडिंग स्‍पेस या बोर्डिंग हाउस के रूप में किराये पर चलाई जा रही संपत्तियों के मामले में वर्ष में केवल एक बार किराया बढ़ाने की अनुमति है।

क्‍या कहता है यूपी का किराएदारी कानून

उत्तर प्रदेश नगरीय किराएदारी विनियमन अध्यादेश-2021 के जरिये लागू कानून में मकान मालिकों को आवासीय भवनों के किराये में प्रतिवर्ष पांच फीसदी और गैर आवासीय भवनों के किराये में सात फीसदी किराया बढ़ाने की इजाज़त दी गई है. इसमें किराया वृद्धि की गणना चक्रवृद्धि आधार पर होगी और अगर किराएदार दो माह किराया नहीं दे पाता, तो मकान मालिक उसे हटा सकेगा।

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