Supreme Court : पत्नी अपने पति पर माँ बाप से अलग रहने का नहीं बना सकती दबाव
Supreme court decision : देश के हर एक कपल को Supreme court की इन बातों के बारे में जरूर पता होना चाहिए, कोर्ट ने पति और पत्नी के लिए कुछ नियम बनाये हैं जिन्हे मानना हर एक कपल का फ़र्ज़ बनता है . आइये जानते है Court के नियम
Saral Kisan, New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने शादीशुदा जोड़ों के लिहाज से कई अहम व्यवस्थाएं दी हैं। अदालत की कई टिप्पणियां निचली अदालतों में फैसले का आधार बनती हैं। घरेलू हिंसा से जुड़े मामले हों या तलाक की अर्जियां, सुप्रीम कोर्ट के फैसले बेहद अहम होते हैं। दांपत्य जीवन में पति और पत्नी के क्या अधिकार हैं, इसे लेकर भी सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां आती रहती हैं। आइए आपको बताते हैं देश की सर्वोच्च अदालत के ऐसे फैसले जो हर कपल को पता होने चाहिए।
पति की पर्सनल प्रॉपर्टी नहीं है पत्नी
सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में यह बात कह चुका है। पत्नी अपनी इच्छा से पति के साथ रह सकती है, उसे ऐसा करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता।पत्नी को गुलाम समझना पतियों की भूल है। अदालत से उन्हें फटकार ही मिलेगी। साथ ही जनवरी 2021 में SC ने कहा था कि घर में काम करने वाली पत्नियों की कीमत कामकाजी पतियों से बिल्कुल भी कम नहीं है।
एक-दूसरे की इज्जत और करियर को खराब करना क्रूरता
पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी हाइली एजुकेटेड शख्स का अपने जीवनसाथी की इज्जत और करियर को खराब करना, उसे अपूर्णनीय क्षति पहुंचाना मानसिक क्रूरता के दायरे में आएगा। अदालत ने एक पति की ओर से दायर तलाक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की थी। अदालत के अनुसर, कोर्ट को मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक का मामला तय करते समय शिक्षा के स्तर और पक्षकारों के स्टेटस को ध्यान में रखना चाहिए।
मां-बाप से अलग रहने का दबाव नहीं बना सकती पत्नी
2016 में SC ने तलाक के एक केस में यह टिप्पणी की थी। अगर पत्नी बिना किसी ठोस कारण के अपने पति पर उसके परिवार वालों से अलग रहने का दबाव डालती है, तो यह हरकत भी प्रताड़ना के दायरे में आएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा थ कि माता-पिता की देख-रेख भारतीय संस्कृति में शामिल है। अदालत ने यह भी कहा था कि आत्महत्या का प्रयास या धमकी भी क्रूरता के दायरे में आएगा।
तलाक के लिए SC ने माने हैं कई आधार
पति-पत्नी जब चाहें आपसी सहमति से तलाक ले सकते हैं। मगर जब एक पक्ष राजी न हो तो मामला कोर्ट पहुंच जाता है। ऐसे में किन परिस्थितियों में तलाक मिलता है,
पति-पत्नी को पहले ही बतानी होगी कमाई
SC ने शादीशुदा जिंदगी से जुड़े विवादों को लेकर पिछले साल अहम फैसला दिया था। अदालत ने कहा था कि दोनों पार्टियों को कोर्ट में कार्यवाही के दौरान अपनी असेट और लाइब्लिटी (संपत्ति और अपने खर्चे यानी देनदारियों) का खुलासा अनिवार्य तौर पर करना होगा।
गर्भपात के लिए पति की सहमति जरूरी नहीं
साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी भी बालिग महिला को बच्चे को जन्म देने या फिर गर्भपात कराने का फैसला लेने का अधिकार है। यह जरूरी नहीं है कि गर्भपात का फैसला वह पति की सहमति के बाद ही ले।
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