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Succession Act : क्या बिना वसीयत हो सकता हैं प्रोपर्टी का बंटवारा, बेटा-बेटी को छोड़कर कौन होगें उत्तराधिकारी

Succession Act : प्रोपर्टी से जुड़े नियमों और कानूनों को लेकर अधिकतर लोगों में जानकारी का अभाव होता है। ऐसे में आज हम आपको अपनी इस खबर में ये बताने जा रहे है कि आखिर वसीयत के बिना प्रोपर्टी का बंटवारा कैसे होता है... बेटा-बेटी के अलावा और कौन हो सकते हैं उत्तराधिकारी। आइए नीचे खबर में जानते है इससे जुड़ी पूरी जानकारी।
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Succession Act: Can   property   be divided without a will, who will be the heirs except son and daughter?

Saral Kisan : वसीयत एक कानूनी दस्तावेज है जो बताता है कि किसी शख्स की मौत के बाद उसकी संपत्ति कैसे और किनमें बांटी जाए और अगर कोई नाबालिग बच्चा है तो उसकी देखभाल कैसे होगी. वैसे जरूरी नहीं कि हर व्यक्ति मौत से पहले अपनी वसीयत लिख दे. अगर किसी ने अपनी वसीयत लिखी है तो उसकी संपत्ति का बंटवारा उसकी इच्छा के हिसाब से ही होगा. लेकिन अगर उसने वसीयत नहीं की हो तो संपत्ति का बंटवारा उत्तराधिकार कानूनों के तहत होगा.

अगर परिवार का मुखिया जीवित रहते हुए संपत्ति का बंटवारा नहीं कर पाए, तो उनके देहांत के बाद प्रॉपर्टी का बंटवारा कैसे हो और उसे लेकर क्या नियम हैं. क्या केवल उसके बेटे और बेटियां ही उसके उत्तराधिकारी होंगे या कुछ और भी ऐसे रिश्ते हैं, जिनका प्रॉपर्टी पर हक बनेगा. इस बारे में काफी कन्फ्यूजन है. आज इस कन्फ्यूजन को दूर करने के लिए आपको विस्तार से बताते हैं.

हिंदू-मुस्लिम में संपत्ति बंटवारे पर अलग-अलग नियम-

देश में संपत्ति पर अधिकार को लेकर हिंदू और मुस्लिम धर्म में अलग-अलग नियम हैं. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 में बेटे और बेटी दोनों का पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार माना जाता है. इस अधिनियम में यह बताया गया है कि जब किसी हिन्दू व्यक्ति की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो जाती है, तो उस व्यक्ति की सम्पत्ति को उसके उत्तराधिकारियों, परिजनों या सम्बन्धियों में कानूनी रूप से किस तरह बांटी जाएगी.

क्या है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, 1956-

हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम,1956 के तहत अगर संपत्ति के मालिक यानी पिता या परिवार के मुखिया की मृत्यु बिना वसीयत बनाए हो जाती है तो उस संपत्ति को क्लास-1 के उत्तराधिकारियों (बेटा, बेटी, विधवा, मां, पूर्ववर्ती बेटे का बेटा आदि) दिया जाता है. क्लास 1 में उल्लेखित उत्तराधिकारियों के नहीं होने की स्थिति में प्रॉपर्टी क्लास 2 ( बेटे की बेटी का बेटा, बेटे की बेटी की बेटी, भाई, बहन) के वारिस को दिए जाने का प्रावधान है. बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में बौद्ध, जैन और सिख समुदाय भी शामिल हैं.

बता दें कि पैतृक संपत्ति को लेकर पिता फैसले लेने के लिए स्वतंत्र नहीं है इसलिए प्रॉपर्टी पर बेटे और बेटी दोनों को बराबर अधिकार मिले हैं. पहले बेटी को प्रॉपर्टी में बराबर के अधिकार प्राप्त नहीं थे, लेकिन 2005 में उत्तराधिकार अधिनियम में हुए महत्वपूर्ण संशोधन के बाद बेटियों को पैतृक संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार दिए गए हैं.

किसी भी संपत्ति का बंटवारा किए जाने से पहले उस पर दावा करने वालों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रॉपर्टी पर कोई बकाया कर्ज या अन्य प्रकार का लेन-देन संबंधी बकाया तो नहीं है. वहीं, किसी प्रकार के पैतृक संपत्ति विवाद या अन्य मामलों के लिए कानूनी सलाहकारों की मदद लेनी चाहिए, ताकि कानून के दायरे में रहकर शांतिपूर्ण तरीके से पारिवारिक विवादों का समाधान हो सके.

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