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Success Story: जैविक तरीके से की जा रही सब्जी की खेती, महीने भर में होगी मोटी कमाई

रामप्रवेश ने बताया कि जैविक खेती करने से भूमि उपजाऊ बनती है और उसकी सुरक्षा भी होती है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों से जैविक खेती का अभ्यास किया है। वे अक्सर खुद से ही जैविक खाद तैयार करते हैं, जिसमें गोबर, अरबी के पत्ते, और कुछ घासों का उपयोग होता है।

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Success Story: जैविक तरीके से की जा रही सब्जी की खेती, महीने भर में होगी मोटी कमाई 

Organic Fertilizers: सीतामढ़ी के छोटे गांव के किसान रामप्रवेश राम ने उनकी खेती की विशेष तकनीकों के कारण आस-पास के लोगों के दिलों में जगह बना ली है। रामप्रवेश राम रात्रि को जैविक तरीके से अपने एक बीघा जमीन पर सब्जियों की खेती करते हैं। जैविक खेती के माध्यम से वे कम लागत में ही उत्कृष्ट उपज प्राप्त कर रहे हैं, जो कि उनके परिवार की आय को बढ़ावा देने का एक साधन बन गया है।

किसान रामप्रवेश ने बताया कि जैविक खेती करने से भूमि उपजाऊ बनती है और उसकी सुरक्षा भी होती है। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों से जैविक खेती का अभ्यास किया है। वे अक्सर खुद से ही जैविक खाद तैयार करते हैं, जिसमें गोबर, अरबी के पत्ते, और कुछ घासों का उपयोग होता है। यह खाद खेत में नमी को बनाए रखने में मदद करती है। 

उनके अनुसार, जैविक तरीके से खेती करने से पैदावार में अधिक ऊर्जा होती है। रामप्रवेश ने बताया कि वे अपने बीघे के भीतर ही सब्जियों की खेती करते हैं, और फिर उन्हें बाजार में बेचते हैं। सब्जी की कमाई से ही उनका परिवार चलता है, और वे ज्यादातर हरी सब्जियों की खेती करते हैं। इनकी सब्जियों का बाजार में अच्छा प्रशंसा मिलता है और यहाँ उचित मूल्य पर बेची जाती है।

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रामप्रवेश ने बताया कि सब्जी की खेती मौसम की परेशानियों पर निर्भर करती है, हालांकि वे सामान्यत: लगभग 20 हजार रुपये की कमाई कर लेते हैं। उन्होंने यह भी साझा किया कि वे जैविक खेती के प्रोत्साहित करने के लिए आसपास के किसानों को प्रेरित करते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जैविक तरीके से खेती करने से भूमि को काफी आराम मिलता है, क्योंकि उनके उपयोग की गई खाद में बने केंचुआ का स्रोत होता है जो भूमि को उपजाऊ बनाता है।

 वे मिट्टी को खुरदरा बनाने के लिए इसे परतदार और हल्का बनाने में मदद करते हैं, जिससे उन्हें सहूलियत होती है और बारिश के समय भी उनकी जमीन पानी को अधिक अवगत करने में मदद मिलती है। पानी की अधिकता किसानों के लिए महत्वपूर्ण होती है, और वे इसे नियंत्रित रखने के लिए सतत प्रयत्नशील रहते हैं।

व्यवस्थित रूप से कीटों और कीटाणुओं से फसल की सुरक्षा के लिए, रामप्रवेश ने नीम के तेल का उपयोग किया है। वे नीम के पत्तों को सरसों के तेल में उबालकर नीम आयल तैयार करते हैं और उसका समर्थन फसलों पर करते हैं। उन्होंने बताया कि जैविक तरीके से उपजाऊ बनाने के लिए, वे गोबर, अरबी के पत्ते और कुछ घासों का उपयोग करते हैं, जिन्हें सांडा और गाड़ी में मिलाकर खाद के रूप में प्रयुक्त करते हैं।

इस तरह से, रामप्रवेश राम ने अपनी सफल जैविक खेती के माध्यम से किसानों को प्रेरित किया है और उन्हें सही दिशा में ले जाने में मदद की है। उनकी आत्म-सहायता, विविधता और पूर्वानुमान्यता के साथ की गई खेती से, वे न सिर्फ अच्छी उपज प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि उनके परिवार की आय को भी बढ़ावा दे रहे हैं। उनकी यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सही दिशा में कठिनाइयों का सामना करते समय भी, निष्ठा और मेहनत से, हम सफलता प्राप्त कर सकते हैं।

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