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राजस्थान में बने नए जिलों को लेकर हलचल, पुराने जिलों के कलेक्टर्स को मिली ये जिम्मेदारी

Rajasthan News : राजस्थान में कांग्रेस की गहलोत सरकार के वक्त बनाए गए 17 नए जिलों को लेकर अब बड़ी अपडेट सामने आई है। प्रदेश के बने इन 17 नए जिलों को लेकर हलचल काफी समय से चल रही है। भजनलाल सरकार अब इन नए जिलों को पुराने जिलों में बदल सकती है. 

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राजस्थान में बने नए जिलों को लेकर हलचल, पुराने जिलों के कलेक्टर्स को मिली ये जिम्मेदारी

New Districts Of Rajasthan : राजस्थान में पिछली कांग्रेस सरकार के समय बनाए गए 17 जिलों को लेकर अब सियासत गलियारों में हलचल काफी तेज हो गई है। कांग्रेस की गहलोत सरकार के समय राजस्थान में 17 नए जिले बनाए गए थे। राजस्थान की भजन लाल सरकार के नए फरमान के बाद नए जिलों के मुद्दों पर खलबली मच गई है. बता दें कि यह नए जिलों को लेकर नई टेंशन पैदा करने वाला है. अब नए जिलों को लेकर इन आदेशों में सरकार की मंशा लगभग साफ नजर आने लगी है.

नए जिलों को लेकर संकट के बादल

प्रदेश में पहले ही नए जिलों को लेकर संकट के बादल मंडरा रहे थे. लेकिन अब प्रदेश की भजनलाल सरकार के नए निर्देश के बाद अब पुष्टि के संकेत प्रतीत हो रहे हैं। चर्चा यह हो रही थी कि कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद नए जिलों को समाप्त कर दिया जाएगा.  राजस्थान की भजन लाल सरकार ने प्रदेश के नए 17 जिलों को लेकर राजस्व संबंधी सभी कामकाज को लेकर पुराने कलेक्टर की पावर को अगले वर्ष तक बढ़ा दिया है। प्रदेश की भजन लाल सरकार ने पिछले दिनों नए जिलों को लेकर रिव्यू कमेटी गठित की थी। कमेटी का गठन होने के बाद यह मुद्दा उसमें से गरमा गरम है. चर्चा यह हो रही थी कि कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद नए जिलों को समाप्त कर दिया जाएगा. 

सियासत में काफी समय से हलचल

लेकिन फिलहाल प्रदेश की सरकार के नए निर्देश के बाद सियासत गलियारे का पारा एक बार फिर चढ़ गया है। आपको जानकारी के लिए बता दें कि प्रदेश में नए जिलों में विभागीय सोसाइटियों से संबंधित सभी रिवेन्यू कलेक्शन, वर्क सैंक्शन और कार्य के बदले होने वाले भुगतान के अधिकार फिलहाल पुराने कलेक्टरों के पास ही रहेंगे. प्रदेश की पिछली कांग्रेस सरकार ने यह अधिकार 31 मार्च 2024 तक पुराने कलेक्टर सौंपे थे. फिलहाल प्रदेश की भजन लाल सरकार ने इस अवधि को बढ़ाकर 1 साल और कर दिया है.

पुराने कलेक्टर्स का पावर

सरकार ने नए जिलों के रिव्यू के बीच यह महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है, जो नए जिलों के अधिकारों को पुराने कलेक्टर्स को सौंपता है। इसे चालू वित्तीय वर्ष के 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दिया गया है। अनूपगढ़ का बीकानेर-श्रीगंगानगर, गंगापुर सिटी का सवाई माधोपुर, कोटपूतली-बहरोड का जयपुर-अलवर, बालोतरा का बाड़मेर, जयपुर ग्रामीण का जयपुर, खैरथल का अलवर, ब्यावर का अजमेर, पाली-नीमकाथाना का सीकर-झुंझुनू, डीग का भरतपुर, जोधपुर ग्रामीण का जोधपुर, फलोदी का जोधपुर, डीडवाना का नागौर, सलूंबर सलूंबर का उदयपुर को, दूदू का जयपुर को, केकड़ी का अजमेर- टोंक को, सांचैर का जालौर और शाहपुरा का भीलवाड़ा जिले के कलेक्टर्स को पावर सौंपा गया है।

17 नए जिलों की वापस समीक्षा की जाएगी

भाजपा ने चुनाव से पहले ही अपने घोषणा पत्र में कहा था कि सरकार बनते ही इन 17 नए जिलों की वापस समीक्षा की जाएगी। इधर, राजस्व विभाग की रिपोर्ट के अनुसार लगभग एक दर्जन जिले बहुत छोटे हैं, जो राजनीतिक बहस का विषय है। साथ ही, नए जिले आबादी और सीमांकन के हिसाब से जिला बनाने की प्रणाली के अनुकूल नहीं हैं। इसलिए चर्चा है कि इन जिलों को वापस अपने पूर्ववर्ती जिलों में मिलाया जा सकता है। इस समय, पुराने कलेक्टर को नए जिलों का अधिकार देना इसी से जुड़ा हुआ है। वहीं, इस वर्ष के अंत तक भजनलाल सरकार नए जिलों पर कब्जा कर लेगी।

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