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Steel Road :इंडिया में यहां लोहे से बन रही सड़क, पहली बार होगा बड़ा कारनामा

Steel Slag Road : देश में मजबूत और टिकाऊ रोड बनाने के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल पहली बार किया जा रहा है। स्टील स्लैग के उपयोग वाली सड़कें पक्की सड़क की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत सस्ती हैं...
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Steel Road: Road being built from iron here in India, will be a big feat for the first time

Steel Slag Road: एक्सप्रेसवे से लेकर हाईवे तक तमाम तरह के सड़क निर्माण में आमतौर पर कंक्रीट का इस्तेमाल होता है लेकिन अरुणाचल प्रदेश में भारत सरकार एक खास रोड बना रही है. इस रोड का निर्माण लोहे के कचरे से हो रहा है. स्टील उत्पादन के दौरान निकले कचरे से बनी ये सड़कें न सिर्फ आम सड़कों के मुकाबले ज्यादा मजबूत हैं बल्कि सस्ती भी हैं.

केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने दुनिया की नवीनतम स्टील रोड तकनीक विकसित की है. अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास मजबूत और अधिक टिकाऊ रोड बनाने के लिए स्टील स्लैग का इस्तेमाल किया जा रहा है. रोड कंस्ट्रक्शन के लिए स्टील स्लैग का उपयोग करने की तकनीक CSIR-केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित की गई थी.

स्टील स्लैग के इस्तेमाल से 2 बड़े फायदे-

खास बात है कि इस सड़क के निर्माण से 2 बड़े फायदे हैं, क्योंकि रोड मजबूत रोड बनने के साथ-साथ स्टील प्लांट्स द्वारा उत्पन्न स्लैग की समस्या का समाधान भी होगा. नई दिल्ली में CSIR-CRRI का दौरा करने पर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि स्टील स्लैग के उपयोग वाली सड़कें न केवल पारंपरिक पक्की सड़क की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत सस्ती हैं, बल्कि ज्यादा टिकाऊ भी हैं. इसके अलावा यह सड़कें मौसम की अनिश्चितताओं को भी आसानी से झेल सकती हैं.

सूरत स्टील स्लैग रोड बनाने वाला पहला देश-

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले साल जून में गुजरात का सूरत प्रोसेस्ड स्टील स्लैग रोड बनाने वाला देश का पहला शहर बन गया. इसके बाद सीमा सड़क संगठन (BRO)ने अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा क्षेत्र के पास टिकाऊ एवं बेहद मजबूत सड़क निर्माण के लिए स्टील स्लैग का उपयोग किया है. केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि स्टील स्लैग की आपूर्ति टाटा स्टील द्वारा मुफ्त में की गई और भारतीय रेलवे द्वारा जमशेदपुर से अरुणाचल प्रदेश तक पहुंचाई है. दरअसल स्टील प्लांट्स में स्टील बनाने की प्रक्रिया के दौरान कच्चे माल से पिघली अशुद्धियों से ‘स्लैग’ बनता है.

1200 मीट्रिक टन स्टील स्लैग झारखंड से अरुणाचल प्रदेश पहुंचा-

वहीं, नीति आयोग के सदस्य वी के सारस्वत ने कहा कि सीएसआईआर-सीआरआरआई स्टील स्लैग रोड तकनीक रणनीतिक सीमा क्षेत्रों में लंबे समय तक चलने वाली हेवी-ड्यूटी सड़कों के निर्माण के लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) के लिए एक वरदान साबित होगी. उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में बीआरओ द्वारा निर्मित जोरम-कोलोरियांग स्टील स्लैग रोड के एक किमी लंबे हिस्से का निरीक्षण करने के बाद यह बात कही. स्टील स्लैग बिटुमिनस सरफेसिंग अपनी कठोरता के कारण क्षेत्र में खराब मौसम की स्थिति में अधिक टिकाऊ सड़क होगी.

इस सड़क निर्माण के लिए लगभग 1,200 मीट्रिक टन स्टील स्लैग को रेलवे द्वारा जमशेदपुर से ईटानगर और फिर ईटानगर से सड़क मार्ग से निचले सुबनसिरी जिले में जीरो के पास परियोजना स्थल तक पहुँचाया गया है.

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