तीन हजार रुपये का कर्जा लेकर शुरू किया बिजनेस, आज उनके उत्पाद हर घर में हैं
साबुन, अलमारी, फ्रिज, वॉशिंग पाउडर, बालों का कलर, ताले, फर्नीचर, मॉस्किटो स्प्रे तक ये गिनती बहुत लंबी है, लेकिन हर एक में एक आम नाम है। आज शायद किसी घर में इस कंपनी का कोई सामान कोई सामान मौजूद न हो।
Saral Kisan - साबुन, अलमारी, फ्रिज, वॉशिंग पाउडर, बालों का कलर, ताले, फर्नीचर, मॉस्किटो स्प्रे तक ये गिनती बहुत लंबी है, लेकिन हर एक में एक आम नाम है। आज शायद किसी घर में इस कंपनी का कोई सामान कोई सामान मौजूद न हो। इस कंपनी के उत्पादों को किचन, बाथरूम, बेडरूम और ड्राइंग रूम में हर जगह मिल जाएगा। बात घर-घर में मौजूद ब्रांड गोदरेज की है। हर भारतीय यह नाम जानता है। क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी के पीछे किसका दिमाग है?
गोदरेज पर वकील की सोच
आज एक साधारण से वकील ने दुनिया के 90 से अधिक देशों में अपने उत्पाद बेचने की शुरुआत की। आर्देशिर गोदरेज ने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद बॉम्बे सॉलिसिटर फर्म में काम किया। उन्हें 1894 में फर्म ने एक केस के सिलसिले में ईस्ट अफ्रीका भेजा गया था। उन्हें इस केस के दौरान ही पता चला कि वकालत उनके लिए नहीं है। वहां झूठ का सहारा लेना होगा, जिसके लिए वह तैयार नहीं थी। फिर क्या हुआ? उन्होंने उसी समय वकालत छोड़ दी और भारत लौट आए। लौट तो गए, लेकिन बिना काम के। वे एक कैमिस्ट की दुकान में सहायक बन गए। इस दौरान सर्जिकल इंस्ट्रूमेंट्स ने उनका ध्यान खींचा।
3000 रुपये कर्ज लेकर शुरू की कंपनी
उन्होंने पारसी समाज के प्रतिष्ठित व्यक्ति मेरवानजी मुचेरजी कामा से 3000 रुपए उधार लेकर काम शुरू कियैा। सर्जरी ब्लेड का बिजनेस अभी शुरू ही किया था कि ‘मेड इन इंडिया’ लिखवाने को लेकर उनका झगड़ा हो गया। दरअसल आर्देशिर गोदरेज एक ब्रिटिश कंपनी के लिए सर्जरी के औजार बनाने थे।
वो चाहते थे कि उन औजारों पर मेड इन इंडिया लिखा जाए, जो ब्रिटिश कंपनी को यह मंजूर नहीं था। गोदरेज अपने फैसले पर टिके रहे और इस तरह से उनके हाथों से आर्डर और कंपनी दोनों निकल गई। उन्हें अपना कारोबार बंद करना पड़ा।
अखबार से मिला गोदरेज का आइडिया
एक दिन अखबार पढ़ते हुए उनकी नजर एक खबर पर गई, जिसमें बंबई में चोरी की बढ़ती घटनाओं को लेकर पुलिस कमिश्नर ने लोगों को अपने घर और दफ्तर की और अधिक सुरक्षा रखने की सलाह दी थी। बस फिर क्या था आर्देशिर गोदरेज को नए बिजनेस का आइडिया मिल गया। उन्होंने ताला बनाने का काम शुरू किया। ऐसा नहीं था कि उस दौर में ताला बेचने वाली कंपनियां नहीं थी। गोदरेज ने नए और मजबूत ताले बनाने का काम शुरू किया। एक बार फिर उन्होंने कर्ज लेकर बॉम्बे गैस वर्क्स के बगल में 215 वर्गफुट के गोदाम में अपना काम शुरू किया और इसी के साथ 1897 में गोदरेज कंपनी का जन्म हुआ। लोगों को उनका ताला पसंद आने लगा और इसके साथ ही उनका बिजनेस चल पड़ा।
एक के बाद एक प्रोडक्ट बनाना शुरू
अकेले कारोबार को संभालना मुश्किल था, इसलिए उन्होंने अपने छोटे भाई पिरोजशा भी अपने साथ शामिल कर दिया। गोदरेज ब्रदर्स ताले के बाद जेवरात और पैसे सेफ रखने के लिए ल़कर और अलमारियां बनाना शुरू किया। उन्होंने कई ऐसी अलमारियां बनाईं, जो लोहे की चादर को बिना काटे बनी थीं। गोदरेज के तालों की तरह अलमारियों ने भी लोगों का मन जीत लिया। हालात ऐसे बने कि अंग्रेज भी अपने कीमत सामान रखने के लिए गोदरेज की आलमारियों का इस्तेमाल करते थे।
साबुन से लेकर स्पेस तक पहुंच गया गोदरेज
ताले और अलमापियों में सफलता मिलने के बाद गोदरेज ब्रदर्स ने कारोबार का विस्तार करना शुरू किया। उन्होंने पहला वेजिटेबल ऑयल वाला साबुन बनाया। दरअसल उस वक्त साबुन बनाने में जानवरों के फैट का इस्तेमाल होता था। गोदरेज ने लोगों की भावनाओं को समझते हुए ऐसा साबुन तैयार किया, जिसमें एनिमल फैट नहीं था। आजादी के साथ गोदरेज का कारोबार भी तेजी के साथ बढ़ने लगा। गोदरेज नंबर 1, सिंथोल जैसे साबुन बाजार में उतारे।
चुनाव के लिए 17 लाख बैलेट बॉक्स बनाने का ऑर्डर
आजादी के बाद साल 1951 में पहले लोकसभा चुनाव के लिए गोदरेज को 17 लाख बैलेट बॉक्स बनाने का आर्डर मिला। इसके बाद गोदरेज ने एक के बाद एक प्रोडक्ट बनाना और बेचना शुरू किया। साल 1958 में गोदरेज ने देश में सबसे पहले फ्रिज बनाया। साल 1974 में देश को गोदरेज ने लिक्विड हेयर कलर प्रोडक्ट्स दिए, साल 1994 जब गुड नाइट ब्रांड बनाने वाली कंपनी ट्रांस्लेक्टा को गोदरेज ने खरीदा।
कंपनी यहीं तक नहीं रूकी। कंपनी ने स्पेस तक में अपनी पकड़ मजबूत कर ली। गोदरेज ने साल 2008 में चंद्रयान-1 के लिए लॉन्च व्हीकल और ल्यूनर ऑर्बिटर बनाए। अज कंपनी सीसीटीवी से लेकर कंस्ट्रक्शन, डेयरी प्रोडेक्ट में भी बिजनेस करती है। आज कंपनी का कारोबार 90 देशों में फैला है। आज कंपनी कि वैल्यूएशन 76 अरब डॉलर पर पहुंच चुकी है।