Sesame Cultivation: किसान इस तरह की जमीन पर करें तिल की खेती, मिलेगा जबरदस्त उत्पादन
बेगूसराय जिले के किसानों का कहना है कि वे रबी और खरीफ सीजन में तिल की बुवाई करते हैं। तिल की फसल बुवाई के बाद 85 से 90 दिनों में पूरी तरह से पक जाती है और इससे उनकी अच्छी कमाई होती है।
Sesame Cultivation: बिहार के बेगूसराय जिले के किसानों ने तिल की फसल के साथ-साथ धान और गेहूं की खेती करके लोगों के सामने एक मिसाल पेश की है। उनका कहना है कि तिल की खेती से उनकी कमाई में वृद्धि हुई है और उनकी फसलें मवेशियों द्वारा नुकसान नहीं हो रही है। उनके अनुसार, तिल की बुवाई करने में पानी की कमी होती है, जिससे पानी की बचत होती है। इसके साथ ही, तिल की फसल को नीलगाय का आकर्षण भी नहीं होता, जिससे फसलों की बर्बादी भी कम होती है।
बेगूसराय जिले के किसानों का कहना है कि वे रबी और खरीफ सीजन में तिल की बुवाई करते हैं। तिल की फसल बुवाई के बाद 85 से 90 दिनों में पूरी तरह से पक जाती है और इससे उनकी अच्छी कमाई होती है। खासकर जिले के कावर झील के आसपास की परती जमीन पर तिल की खेती करने से और भी अधिक उपज मिल सकती है।
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बिहारशरीफ के खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक डॉ. रामपाल के अनुसार, तिल की बुवाई करने के 80 से 95 दिनों बाद फसल तैयार हो जाती है। फसल के 75% पत्तियाँ और तने पीले हो जाते हैं, जिसका संकेत होता है कि फसल की कटाई की जा सकती है। तिल की खेती से हेक्टेयर में 6 से 7 क्विंटल उपज मिल सकती है।
इसके अलावा, बेगूसराय जिले के कावर झील और दियारा इलाके में अधिक पानी होने के कारण, खेती के लिए तिल की फसल का चयन किया जा सकता है। इन क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त बलुई मोमट मिट्टी भी होती है और उन्हें अधिक तापमान में भी नुकसान नहीं पहुंचता।
इस प्रकार, तिल की फसल बेगूसराय जिले के किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो रही है, जिससे वे अधिक कमाई कर सकते हैं और अपनी फसलों को मवेशियों से बचा सकते हैं।
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