उत्तर प्रदेश के इस जिले में साढ़े तीन मीटर चौड़ी होंगी सड़कें, बनाया जाएगा कॉरिडोर
UP News : उत्तर प्रदेश में छोटी काशी कॉरिडोर को लेकर बड़ी अपडेट सामने आई है। चुनाव समाप्त होते ही छोटी काशी कॉरिडोर योजना में तेजी आ गई है। इस कार्य योजना के अनुसार सड़कों का चौड़ीकरण और चकाचक किया जाएगा।
Uttar Pradesh News : छोटी काशी कॉरिडोर परियोजना उत्तर प्रदेश के लिए एक महत्वपूर्ण योजना मानी जा रही है। छोटी काशी कॉरिडोर को दुल्हन की तरह बेहतर ढंग से सजाया संवारा जाएगा। अभी तक छोटी काशी कॉरिडोर योजना का चिन्हांकन का काम ही हुआ था। लेकिन अब इस योजना को लेकर कार्यदायी संस्था ने फाइनल सर्वे का कार्य पूरा कर लिया है। इस योजना के तहत सड़कों का चौड़ीकरण किया जाएगा।
भक्तों को नया हो कोई समस्या
भक्तों को किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़े इसके लिए रेलवे स्टेशन की ओर से आने वाली सड़क को मुख्य द्वार तक निर्माण किया जाएगा। बता दें की मुख्य द्वार पर भी एंट्री बोर्ड लगाए जाएंगे। मुख्य द्वार पर ही बाबा गोकर्णनाथ धाम कॉरिडोर लिखा हुआ होगा। चुनाव समाप्त होते ही इसे कॉरिडोर के लिए फाइनल सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया है। छोटी काशी कॉरिडोर योजना मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ड्रीम प्रोजेक्ट है। इस कार्य योजना के अनुसार 3:30 मीटर तक सड़कों का चौड़ीकरण किया जाएगा।
चार चरणों में पूरा होगा काम
इससे कॉरिडोर योजना का काम चार चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण के माध्यम से सड़कों का निर्माण किया जाएगा। छोटी काशी कॉरिडोर में एंट्री के लिए एक नए गेट का निर्माण किया जाएगा। इस योजना के अनुसार गोला रेलवे स्टेशन के ठीक सामने वाली जो सड़क है उसको चौड़ीकरण करके मुख्य गेट बनाया जाएगा। इस के लिए मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है। छोटी काशी कॉरिडोर को सुंदर बनाया जाएगा। सड़कों की चौड़ाई कॉरिडोर में साढ़े तीन मीटर होगी। मंदिर के मुख्य गेट से ही पौराणिक शिव मंदिर दिखाई देना चाहिए। कॉरिडोर के साथ सर्वे पूरा हो गया है। पर्यटन विभाग ने शुक्रवार को पीलीभीत धर्मशाला के सामने से शिव मंदिर की ओर जाने वाली सड़क पर काम शुरू कर दिया था।
इन चार रास्तों से होगी एंट्री
अब तक गोला शिव मंदिर में पांच अलग-अलग रास्तों से प्रवेश किया जाता था। सावन से पहले आम दिनों में, मुख्य एंट्री आंबेडकर पार्क की रोड से होती थी; दूसरी एंट्री अंगद धर्मशाला के पास से होती थी; तीसरी एंट्री रेलवे स्टेशन के सामने से होती थी; चौथी एंट्री मेला मैदान से होती थी; और पांचवी एंट्री मंदिर के पीछे से होती थी। कारीडोर बनने के बाद मंदिर में प्रवेश और बाहर जाने का रास्ता अलग हो जाएगा।