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Right in Father's Property : पिता सिर्फ औलाद को दे सकता है ऐसी संपति, दूसरा नहीं कर पाएगा कोर्ट में भी चैलेंज

Right in Father's Property : भारत में जमीन के सामान्य वर्गीकरण के आधार पर, जमीन दो प्रकार से प्राप्त की जाती है। पहला प्रकार है जो व्यक्ति ने खुद से खरीदी है या उसे उपहार, दान, या किसी के द्वारा हक त्यागने के बाद प्राप्त की है। इस प्रकार की संपत्ति को स्वयं अर्जित की हुई संपत्ति कहा जाता है..  कोर्ट की ओर से आए इस फैसले को 

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Right in Father's Property: Father can give such property only to his children, others will not be able to challenge it even in the court.

Who Has The Right Over Father's Land: अक्सर लोगों में पिता की जमीन पर अधिकार को लेकर जानकारी का अभाव होता है. इसके परिणामस्वरूप, जमीन पर अधिकार के मामले में परिवारों में आपसी रंजिश उत्पन्न हो सकती है, जिससे रिश्तों का तोड़ हो जाता है। इस लेख में, हम पिता की संपत्ति पर अधिकार से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी को आपके लिए प्रस्तुत करेंगे, और इसे आसान भाषा में समझाएँगे।

जमीन के सामान्य वर्गीकरण

भारत में जमीन के सामान्य वर्गीकरण के आधार पर, जमीन दो प्रकार से प्राप्त की जाती है। पहला प्रकार है जो व्यक्ति ने खुद से खरीदी है या उसे उपहार, दान, या किसी के द्वारा हक त्यागने के बाद प्राप्त की है। इस प्रकार की संपत्ति को स्वयं अर्जित की हुई संपत्ति कहा जाता है। दूसरा प्रकार है जो पिता ने अपने पूर्वजों से प्राप्त की है, और इसे पैतृक संपत्ति की श्रेणी में रखा जाता है।

खुद अर्जित की गई जमीन पर अधिकार और उत्तराधिकार के क्या नियम हैं?

जब बात पिता की खुद अर्जित की गई जमीन के अधिकार की होती है, तो वह अपनी जमीन के साथ कुछ भी करने में स्वतंत्र होते हैं, जैसे कि उसे बेचने, दान देने, या किसी अन्य किस्म के फैसले लेने में। इसका विवरण भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम और संपत्ति अंतरण अधिनियम में मिलता है।

पिता द्वारा स्वयं अर्जित की गई जमीन से संबंधित किसी भी फैसले को कोई भी नहीं प्रभावित कर सकता और न ही किसी अन्य फैसले के लिए बाध्य कर सकता है। इसके अर्थात, इस जमीन पर कानूनी रूप से अधिकार केवल पिता के पास होते हैं।

अगर पिता इस जमीन को वसीयत तैयार करते हैं और उसे किसी को देना चाहते हैं, तो वह व्यक्ति उसी के अधिकार में होता है। अगर संबंधित व्यक्ति के बच्चे इस मुद्दे पर न्यायालय का रुख करते हैं, तो वसीयत पूरी तरह से वैध होने की संभावना है कि इस मामले में कोर्ट पिता के पक्ष में ही फैसला सुनाएगा।

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