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Rajasthan का सबसे शानदार स्कूल, रेगिस्तान के बीच भी नहीं पड़ेगी AC की जरूरत

लड़कियों के लिए राजस्थान के जैसलमेर में थार रेगिस्तान में एक स्कूल शुरू किया गया है। ये स्कूल बेहतरीन आर्किटेक्चर का उदाहरण भी हैं। ये स्कूल राजस्थान के किसी शाही महल से कम नहीं लगते।
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The most wonderful school of Rajasthan, there will be no need of AC even in the middle of the desert

Saral Kisan : लड़कियों के लिए राजस्थान के जैसलमेर में थार रेगिस्तान में एक स्कूल शुरू किया गया है। ये स्कूल बेहतरीन आर्किटेक्चर का उदाहरण भी हैं। ये स्कूल राजस्थान के किसी शाही महल से कम नहीं लगते। रेगिस्तान में इस स्कूल को किसने बनाया और इसके क्या लाभ हैं? राजस्थान के जैसलमेर में कानोई गांव में रेगिस्तान के बीच बने राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल को बहुत से लोग देखने आते हैं।

इस स्कूल की इमारत दरअसल ओवल शेप में बनाई गई है। इस स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियां और उनके परिवार ने कभी नहीं सोचा था कि इतना अच्छा स्कूल भी उनके लिए होगा। सीआईटीटीए फाउंडेशन, एक गैर-लाभकारी संस्था, राजकुमारी रत्नावती गर्ल्स स्कूल को बनाया है। Yellow Sandstone से निर्मित स्कूल की इमारत में एक भी एयर कंडीशनर नहीं लगाया गया है। इमारत को सीधे सूरज की तीखी किरणों और रोशनी से बचाया गया है। यह भी हवा की आवाजाही के लिए बनाया गया है, जिससे इमारत स्वयं ठंडी रहती है।

स्कूल के विद्यार्थियों की ड्रेस मशहूर डिजाइनर सब्यसाची मुखर्जी ने बनाई है। ओवल शेप इमारत में ना सिर्फ एक स्कूल है, बल्कि 400 लड़कियों के रहने की जगह भी है। इसमें एक परफॉर्मेंस हॉल और एक टेक्स्टल म्यूजियम भी है। साथ ही इमारत में स्थानीय हस् त कलाकारों को अपनी कलाकृतियों की प्रदर्शनी लगाने और उन्हें बेचने का अवसर भी दिया गया है। इस विद्यालय का स्कूल आर्किटेक्चर डायना केलॉग ने बनाया है। ये स्कूल आसपास के गांवों की बेटियों को ना सिर्फ शिक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें सशक्त बना रहा है। यहां लड़कियां किंडरगार्टन से 10वीं तक पढ़ सकती हैं। स्कूल में एडमिशन के समय गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों की बेटियों को अधिक प्राथमिकता दी जाती है। बता दें कि राजस्थान में लगभग 32 % महिलाओं की शिक्षा है।

ओवल इमारत में स्कूल सहित तीन भवन हैं। स्कूल ज्ञानकेन्द्र कहलाता है। वहीं, काम करने वाले भाग को मेधा कहा जाता है। इसमें पुस्तकालय और संग्रहालय भी हैं। यहां माताओं और दूसरी महिलाओं को महिला सहयोग से राजस् थानी कढ़ाई-बुनाई और इम् ब्रॉयडरी तकनीक सिखाई जाती है। इमारत बनाते समय कम से कम कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य भी रखा गया था।

ओवल इमारत पर केलॉग ने एक सोलर पैनल भी लगाया है। इससे इमारत को बिजली चाहिए। याद रखें कि इस शहर में अधिकांश समय 120 डिग्री फॉरेनहाइट का तापमान रहता है। इसके अतिरिक्त, छत पर कुछ जालियां लगाई गई हैं, जिससे गर्मी इमारत से बाहर रहती है। इमारत का अंदरूनी हिस्सा भी बहुत आकर्षक है। उन्हें लगता है कि वे किसी पुरानी इमारत में आ गए हैं।

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