राजस्थान में जमीन अधिग्रहण के नियम में बदलाव, बदले में देंगे 25% विकसित भूमि
Rajasthan News : राजस्थान में पिछली अशोक गहलोत सरकार ने 4 साल पहले अधिग्रहित भूमि का मुआवजा तय कर आदेश जारी किए थे। नई सरकार ने अब 4 साल बाद फिर से वही आदेश जारी किए हैं। 4 नवंबर 2020 को अशोक गहलोत सरकार में 5 नवंबर 200 को जमीन के बदले 15 की जगह 25 फीसदी विकसित भूमि देने के आदेश दिए थे। व्यावसायिक भूमि की जगह आवासीय विकल्प देने का निर्णय लिया था। यूडीएच की ओर से अब फिर से वही आदेश जारी किए गए हैं।
क्या अंतर है नए और पुराने आदेश में
नया आदेश : ऐसे मामले जिनमें 2005 से पहले भूमि अधिग्रहित की गई हो भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है या भूमि अधिग्रहण के बदले मुआवजा देने का आदेश जारी हो चुका है, तो 15 प्रतिशत के स्थान पर 25 प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा। यानी अधिग्रहित भूमि (विकसित भूमि) के लिए 15 प्रतिशत के स्थान पर 25 प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा।
25 प्रतिशत में से 20 प्रतिशत आवासीय और 5 प्रतिशत व्यावसायिक होगा। व्यावसायिक भूमि न होने पर किसान 30 प्रतिशत आवासीय भूमि ले सकेंगे।
नए आदेश के नियमों के तहत ये प्रावधान तभी लागू होंगे, जब भूमि के लिए मुआवजा पत्र 27 अक्टूबर 2005 से पहले जारी हो चुका हो और विवाद के कारण भूमि पर अभी तक निकाय का कब्जा न हो।
पुराना आदेश
जिन किसानों के नाम 27 अक्टूबर 2005 से पहले अधिग्रहण का अवार्ड जारी हो चुका है, लेकिन विवाद के कारण उन्होंने जमीन पर कब्जा नहीं लिया है, उन्हें नए प्रावधानों के तहत मुआवजा दिया जा सकेगा।
15 प्रतिशत मिश्रित भूमि या 20 प्रतिशत आवासीय और 5 प्रतिशत व्यावसायिक भूमि आवंटित कर सकेंगे।
ऐसे स्थान जहां योजनाएं क्रियान्वित नहीं हो रही हैं। वहां सरकार की अनुमति से 15 प्रतिशत आवासीय विकसित भूमि के स्थान पर 15 प्रतिशत मिश्रित भूमि उपलब्ध होने पर भी आवंटित की जा सकेगी।
क्या है अनिवार्य स्वीकृति?
निकाय क्षेत्र में किसी भी सुविधा, सुविधा क्षेत्र, सेक्टर रोड, बाईपास या मास्टर प्लान रोड के लिए भूमि अधिग्रहित की जाती है। यह अनिवार्य स्वीकृति है। सरकार ने ऐसे मामलों के त्वरित निपटारे के लिए 4 साल बाद नियमों को फिर से लागू किया है।