Rajasthan: बुजुर्ग ने तैयार किए 200 बरगद और नीम के पेड़
हर सुबह वे घर और आसपास के बोरवेल से पानी इकट्ठा करके पौधों को देते हैं। अब यह उनकी दिनचर्या बन गई है। उन्होंने पौधों के किनारे झाड़ियां भी लगाई हैं। ताकि गर्मियों में तेज धूप और जानवरों से इन्हें बचाया जा सके। पेड़ तैयार करने की यह प्रक्रिया कई सालों से चल रही है। लेकिन गुलाब मीना के जीवन में तब भूचाल आ गया जब उनकी पत्नी और इकलौते बेटे की मौत हो गई। लेकिन इससे निराश होने की बजाय वे पेड़ लगाने में जुट गए। नतीजा यह हुआ कि उनकी मुहिम के कारण गांव के पास सरकारी बंजर जमीन करीब दो किलोमीटर तक छांव बन गई। मीना ने बताया कि वह सड़क किनारे पेड़ लगाना चाहते हैं। स्थानीय प्रशासन से मदद नहीं मिल पा रही है।
खेती के साथ-साथ जानवरों को चराने का काम भी करते थे
गुलाब मीना खेती के साथ-साथ जानवरों को चराने का काम भी करते थे। पत्नी और बेटे की मौत के बाद निराश होने के बजाय पर्यावरण को स्वच्छ बनाया। संरक्षण के लिए पेड़ लगाने की सोची। साथ ही अपने परिवार के सदस्यों की तरह उनकी देखभाल भी की। गुलाब को भले ही कोई नहीं जानता था, लेकिन सैकड़ों नीम, पीपल, बबूल, करंज और बरगद के पेड़ लगाने के बाद सभी उन्हें पर्यावरण पुरुष कहने लगे हैं।