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Pride of Mumbai : हॉस्पिटल से होटल का सफर, 30 रुपये से लेकर आज 30 हजार रुपये तक है किराया

Taj Hotel History : आपने मुंबई के प्रसिद्ध ताज होटल का नाम सुना होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक कमरे का किराया कितना है और इसे बनाने के लिए कितना खर्च हुआ? आइए जानते हैं इस खबर में ताज होटल से जुड़ी पूरी जानकारी।

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Pride of Mumbai: Travel from hospital to hotel, fare ranges from Rs 30 to Rs 30 thousand today

Saral Kisan : हिंदुस्तान में ताज होटल सबसे पहले आलीशान होटल का नाम आता है। 100 साल से समंदर के किनारे खड़ी ताज होटल हमेशा से मुंबई की शान (Pride of Mumbai) रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ताज होटल बनाने में कितना पैसा खर्च हुआ? पुराने समय में यहां एक रात रूकने का किराया 30 रुपये था। ताज होटल ने पहले विश्व युद्ध और आजादी के संघर्ष को देखा। आइये आपको ताज होटल के इतिहास और आर्थिक विवरण बताते हैं।

मुंबई में होटल ताज बनाने का तरीका

टाटा ग्रुप के संस्थापक जमशेद जी टाटा ने ताज होटल बनाने का सपना देखा। वास्तव में, 1890 के आसपास, जब भारत पर अंग्रेजों का शासन था। उस समय जमशेद जी टाटा को मुंबई में वॉटसन होटल में जाने से रोक दिया गया क्योंकि उसमें सिर्फ अंग्रेजों को प्रवेश मिलता था और भारतीयों को नहीं।

यह बात जमशेद जी टाटा को चुभ गई और उन्होंने इस अपमान का बदला लेने के लिए ताज होटल का निर्माण कराया. 1898 में मुंबई में ताज होटल का निर्माण कार्य शुरू हुआ और 5 साल के इंतजार के बाद 16 दिसंबर 1903 में आधिकारिक रूप से होटल को मेहमानों के लिए खोला गया. खास बात है कि ताज होटल का आर्किटेक्ट जिसे बेहद खूबसूरत माना जाता है इसे भारतीय आर्किटेक्ट रावसाहेब वैद्य और डीएन मिर्जा ने डिजाइन किया था.

120 साल पहले खर्च हुए 5 करोड़

मुंबई में ताज होटल, कोलाबा में समंदर के सामने स्थित है. इसका निर्माण गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) से पहले हो गया था. कई मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ताज होटल के निर्माण में 4-5 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. यह रकम 120 साल पहले खर्च हुई थी इसलिए आप सोच सकते हैं कि अब इस पैसे की वैल्यू क्या होगी? ताज होटल, मुंबई की पहली ऐसी बिल्डिंग थी जो बिजली से जगमगाई थी. वहीं, यह देश की पहली ऐसी होटल थी जिसमें अमेरिकन फैन, जर्मन लिफ्ट, तुर्की स्नानघर और अंग्रेजी बटलर हैं.

सवा सौ साल में इतना बढ़ा किराया

1914-1918 के दौरान, जब दुनिया ने पहला विश्व युद्ध (first world war) झेला. उस समय ताज होटल को 600 बिस्तरों वाले अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था. स्वतंत्रता आंदोलन के लिए महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरोजिनी नायडू, मुहम्मद अली जिन्ना, खान अब्दुल गफ्फार खान और सरदार पटेल भी इस होटल में एकत्रित होते थे.

ताज होटल के एक रूम का किराया किसी जमाने में सिर्फ 30 रुपये था लेकिन अब यहां एक रात्र रुकने के लिए 30,000 से लेकर लाखों रुपये चुकाने पड़ते हैं. ताज होटल के रूम और सुइट का किराया अलग-अलग है, जो 30,000 रुपये से शुरू होता है.

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