Political: कैसे जन्म लेती है एक राजनीतिक पार्टी, चुनाव चिन्ह की क्या हैं पूरी प्रक्रिया
मतदान के दौरान आपको राजनीतिक पार्टियों के पोस्टर बैनर और अन्य चिह्नों को देखकर यह सवाल उठता होगा कि आखिर ये राजनीतिक पार्टियां बनती कैसे हैं? चुनाव चिन्ह कैसे दिया जाता है?
Political Party Formation: मतदान के दौरान आपको राजनीतिक पार्टियों के पोस्टर बैनर और अन्य चिह्नों को देखकर यह सवाल उठता होगा कि आखिर ये राजनीतिक पार्टियां बनती कैसे हैं? चुनाव चिन्ह कैसे दिया जाता है? क्या नियम हैं और क्या प्रक्रिया है? आज हम आपको नई राजनीतिक पार्टी बनाने के नियम, प्रक्रिया और चुनाव चिन्ह कैसे दिए जाते हैं बताने जा रहे हैं। पढ़ें खबर पूरी तरह से -
भारत में कितनी तरह की होती हैं पार्टी?
आपको बता दें कि भारत में तीन तरह की राजनैतिक पार्टियां हैं.
1. राष्ट्रीय पार्टी
2. राज्य स्तरीय पार्टी
3. गैर मान्यता प्राप्त (लेकिन चुनाव आयोग के पास पंजीकृत)
नई पार्टी का रजिस्ट्रेशन कैसे होता है?
भारत में लोक प्रतिनधित्वय अधिनियम, 1951 से राजनीतिक दल बनाए जाते हैं। आइए राजनीतिक पार्टी बनाने के नियम और प्रक्रिया को जानें। चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट इसकी प्रक्रिया बताती है। चुनाव आयोग ने बताया कि पहले, पार्टी बनाने वाले व्यक्ति को चुनाव आयोग की वेबसाइट पर उपलब्ध एक फॉर्म भरना होता है. इसे 30 दिन के भीतर भरकर निर्वाचन आयोग को भेजना होता है।
• डीडी के माध्यम से 10 हजार रुपये की प्रोसेसिंग फीस निर्वाचन आयोग को भी देनी होगी।
• पार्टी के संस्थापक को एक संविधान बनाना होगा, जिसमें पार्टी का नाम, उसके उद्देश्य और उसकी नीतियों का विवरण होगा। इस संविधान में ही पार्टी के नियमों, जैसे अध्यक्ष आदि का चुनाव और अन्य नियमों का उल्लेख होगा। इस संविधान से स्पष्ट होना चाहिए कि पार्टी भारत के संविधान, लोकतंत्र, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों को पूरी तरह से मानेगी।
• पार्टी शुरू होने से पहले, अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों को संविधान की कॉपी पर मुहर और हस्ताक्षर देने की आवश्यकता होगी।
पार्टी में कम से कम सौ सदस्य होने चाहिए और किसी अन्य पार्टी से नहीं जुड़े हों। पदाधिकारियों, कार्यकारी समितिओं और कार्यकारी परिषदों को पहले ही सूचित करना चाहिए। पार्टी को भी एक हलफनामा देना होगा, जिसमें पार्टी का कोई भी सदस्य किसी दूसरी पार्टी से नहीं जुड़ा है।
भारत का चुनाव आयोग ही राजनीतिक पार्टियों को चुनाव चिह्न देता है। संविधान का आर्टिकल 324 (रेप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल ऐक्ट, 1951 व कंडक्ट ऑफ इलेक्शंस रूल्स, 1961) चुनाव आयोग को अधिकार देता है। चुनाव चिह्न (आरक्षण एवं आवंटन) अधिनियम, 1968 का इस्तेमाल चुनाव आयोग ने किया। चुनाव चिह्न राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न इसी के तहत आवंटित किए जाते हैं.
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