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Delhi Noida की ऊंची बिल्डिंगों में रहने वाले जान लीजिए भूकंप से कितना है खतरा

Delhi Noida-  दिल्ली-एनसीआर में अक्सर भूकंप आते हैं। जब ऐसा होता है तो कहा जाता है कि इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में  ऊंची बिल्डिंगों में रहने वाले लोगों को एक्सपर्ट की बातें जरूर समझनी चाहिए। दिल्ली-एनसीआर में क्या हाई राइज बिल्डिंग में रहने वालों को ज्यादा खतरा है।
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People living in tall buildings of Delhi Noida should know the danger from earthquake.

Saral Kisan, Delhi Noida : जब से दिल्ली-NCR के लोगों ने मंगलवार दोपहर भूकंप के जोरदार झटके महसूस किए हैं, एक डर पैदा हो गया है। 24 से 30 मंजिला बिल्डिंग में रहने वाले क्या सेफ हैं? क्या टावर में फ्लैट (flat) लेकर गलती कर दी गई? तगड़ा भूकंप आया तो कहीं बिल्डिंग गिर न जाए? ऐसे सवाल न चाहते हुए भी मन में आ रहे हैं। 3 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे के करीब जो भूकंप आया था, उसका केंद्र नेपाल का बझांग जिला था। बताते हैं कि 30 मिनट के दौरान कुल सात झटके आए। इसमें पांच कम तीव्रता के ऑफ्टरशॉक्स थे।

ऐसा बड़ी तीव्रता के झटके आने के बाद अक्सर छोटे झटके महसूस होते हैं। मूल 11 किमी की गहराई में और तीव्रता 6.2 मापी गई। ऐसे में यह एक बड़े भूभाग तक महसूस हुआ। दिल्ली-नोएडा (delhi noida) में उस समय कुर्सी पर बैठकर काम करने वाले लोगों के पैर कांपने लगे थे। ऐसे में सवाल यह है कि क्या भूकंप के समय ऊंची बिल्डिंग को खतरा ज्यादा रहता है? हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने एक्सपर्ट से इस सवाल का जवाब ढूंढा है।

ऊंची बिल्डिंग है तो...

कल भूकंप से घरों में लगे झूमर हिलने लगे थे। लोग डर के कारण सड़कों पर निकल आए। काफी देर तक घबराहट बनी रही। दिल्ली-एनसीआर में अक्सर भूकंप आते हैं। जब ऐसा होता है तो कहा जाता है कि इस क्षेत्र में बड़ा भूकंप आने का खतरा बना हुआ है। ऐसे में बहुमंजिला टावरों में रहने वाले लोगों को एक्सपर्ट की बातें जरूर समझनी चाहिए। जी हां, अपार्टमेंट/हाईराइज बिल्डिंग को लेकर एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ऊंची बिल्डिंग होने का मतलब यह नहीं है कि उसे खतरा ज्यादा है। आर्किटेक्ट मौलश्री जोशी ने अखबार TOI से बातचीत में बताया, 'किसी इमारत की ऊंचाई उसे गिरने के लिए अतिसंवेदनशील नहीं बनाती है। इमारत की सुरक्षा उसकी डिजाइन, किस तरह से मेंटेनेंस हो रहा है उस पर और कई अन्य फैक्टरों पर निर्भर करती है। यहां कोई भूकंप-रोधी बिल्डिंग नहीं है लेकिन भूकंप-रोधी इमारतें बनाई जा सकती हैं।'

बार-बार झटके अच्छे संकेत कैसे?

जी हां, साइंटिस्ट बताते हैं कि दिल्ली-एनसीआर में किसी बड़े नुकसान का कोई खतरा नहीं था क्योंकि भूकंप का केंद्र हिमालय की नेपाल-अल्मोड़ा फॉल्ट लाइन में काफी दूर था। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर ओपी मिश्रा ने TOI को बताया कि सबसे बड़ा भूकंप 6.2 की तीव्रता का था। हम इसे 14-15 किमी की गहराई में मान रहे हैं। 2.51 बजे यह आया। इसके तुरंत बाद 15 किमी की गहराई में 3.8 की तीव्रता का आफ्टरशॉक आया। 50-60 वर्ग किलोमीटर का एक सॉफ्ट जोन था, जहां आफ्टरशॉक आया। यह एक अच्छा संकेत है।

जैसे धरती को हार्ट अटैक आए-

एक्सपर्ट ने समझाया कि आफ्टरशॉक्स एक अच्छा संकेत है। भूकंप तब आते हैं जब टेक्टोनिक प्लेटों में तनाव बढ़ जाता है... चट्टानें फट जाती हैं, जिससे भूकंप आता है। यह ऐसा ही है जैसे धरती को हार्ट अटैक आया हो। आफ्टरशॉक अच्छा संकेत है क्योंकि इससे पता चलता है कि तनाव रिलीज हो रहा है। इससे ज्यादा विनाशकारी भूकंप की संभावना कम हो रही है। यह भूकंप उत्तरी अल्मोड़ा फॉल्ट लाइन पर आया था।

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