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MP के इस गांव में पिछले 12 सालों से पूरी रात्रि पहरेदारी करते हैं लोग


MP के इस गांव के लोग पिछले 12 सालों से पूरी रात जाग कर अपने गांव की पहरेदारी करते हैं और ये सिलसिला लगातार चल रहा हैं और गांव के हरेक घर का एक शख्श इसमें हिस्सा लेता है, क्या है इसके पीछे का कारण,

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People have been keeping vigil all night for the last 12 years in this village of MP.

Saral Kisan : मध्यप्रदेश में एक ऐसा गांव है, जहां के ग्रामीण गांव की सुरक्षा के चौकीदारी करते हैं. हर रात 15 से 20 लोग गांव में अलग-अलग स्थानों पर घूमकर पूरी गश्त करते हैं. यह सिलसिला 12 वर्षों से चल रहा है. बता दें की रात में गश्त देने का काम या तो पुलिस प्रशासन का होता है या फिर चौकीदारों का, लेकिन इस गांव के इतने लोग हर रात खुद चौकीदारी क्यों करते हैं आइए जानते हैं.

ग्रामीणों द्वारा चौकीदारी करने पीछे की वजह जानने के लिए लोकल18 की टीम गांव पहुंची. जब लोगों ने वजह बताई तो हम भी हैरान रह गए. दरअसल, खरगोन मुख्यालय से लगभग 48 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के किनारे बसे गांव माकड़खेड़ा का यह पूरा मामला है. यहां के लोगों का कहना है कि गांव में चोरियों को रोकने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया है. जब से उन्होंने गश्त की शुरुआत की है, तब से गांव से एक कील तक चोरी नहीं हुई.

सुरक्षा के लिए रातभर करते हैं गस्त

गांव के किसान अनिल पाटीदार बताते हैं कि किसानों की सिंचाई मोटर पंप, वाहनों से बैटरी की चोरियां बढ़ने पर गांव के लोगों ने यह कदम उठाया है और रोजाना रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक पूरे गांव की पहरेदारी करते हैं. युवाओं के साथ गांव के बुजुर्ग भी अलग-अलग दलों में शामिल होकर गांव की सुरक्षा करते हैं. गांव के प्रत्येक घर से एक युवक 8 दिन में एक बार गांव की पहरेदारी के लिए गश्त करता है. इस प्रकार रोजाना 15 से 20 लोग रात भर जागते हैं. 12 साल से इसी प्रकार गांव की सुरक्षा की जा रही है

टीम में हर घर से एक सदस्य

वहीं, गांव के बुजुर्ग रमेश चंद्र पाटीदार बताते हैं कि बीच में कुछ समय के लिए पहरेदारी बंद हो जाने से चोरियां फिर बढ़ने लग गई थीं. एक सप्ताह में 5 से ज्यादा चोरियां हो गईं, जिसको देखते हुए फिर से गश्त शुरू कर दी गई है. गत दो महीनों से लगातार गश्त पर निकल रहे हैं. गांव में करीब तीन हजार की आबादी है. जिस क्षेत्र में सबसे ज्यादा चोरी होती है, वहां 800 से ज्यादा परिवार रहते हैं और इन्हीं परिवारों से एक-एक सदस्य अपनी पारी के हिसाब से पहरेदारी करते हैं. चार-चार सदस्यों की 5 टीमें गांव और खेतों सहित नर्मदा किनारे की रखवाली करती हैं.

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