MP में महिला सुरक्षा के साथ मजाक, पैनिक बटन दबाने से पुलिस की जगह ड्राइवर को जाता है फोन
MP News : मध्य प्रदेश में महिलाओं और बच्चों शिक्षा के लिए बसों में पैनिक बटन लगाए गए है। सुरक्षा के लिहाज से लगाए गए पैनिक बटन या तो काम नहीं करते या फिर रिस्पॉन्स ही नहीं देते हैं। मध्य प्रदेश में लगभग 50 हज़ार बसों और टैक्सी में यह पैनिक बटन लगाए गए हैं.
Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश में बसों और सार्वजनिक परिवहन बसों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए लगाए गए पैनिक बटन या तो काम नहीं करते या फिर रिस्पॉन्स ही नहीं देते। फिलहाल करीब 50 हजार बस-टैक्सियों में ही ये बटन लगे हैं, लेकिन इसके ऑपरेटिंग सिस्टम में कई खामियां हैं। पूरा सिस्टम पुलिस से जुड़ा नहीं है। किसी भी घटना या वारदात की स्थिति में अगर कोई महिला यात्री पैनिक बटन दबाती भी है तो कंट्रोल कमांड सेंटर से कॉल बस मालिक के पास जाती है।
ड्राइवर को कॉल करके पूछना पड़ता हैं मामला क्या हैं
इसके बाद बस मालिक ड्राइवर को कॉल करके बटन दबाने की वजह पूछता है। जानकारों के मुताबिक यही सबसे बड़ी खामी है। अगर ड्राइवर अपराध में शामिल है तो पैनिक बटन दबाने के बाद उसे कॉल करें और फिर भाग जाएं। दूसरी बात, दिल्ली में पैनिक बटन सिस्टम कश्मीरी गेट स्थित कंट्रोल एंड कमांड रूम से जुड़ा है। जब कोई महिला यात्री बटन दबाती है तो कंट्रोल एंड कमांड रूम में लाइव फीड शुरू हो जाती है। इससे वाहन की लोकेशन अपने आप पुलिस तक पहुंच जाती है और ट्रेसिंग आसान हो जाती है। गुजरात में भी पुलिस कंट्रोल कमांड सेंटर से सीधे लोकेशन ले सकती है।
डायल-100 तभी आती है, जब ड्राइवर समस्या के बारे में बताता है
अब अगर कोई महिला पैनिक बटन दबाती है, तो फीड भोपाल स्थित कंट्रोल कमांड सेंटर में पहुंच जाती है। यहां से बस की लोकेशन ट्रेस होती है, तो कमांड सेंटर से बस मालिक से पूछा जाता है कि समस्या क्या है। फिर परमिट धारक या मालिक ड्राइवर से संपर्क करता है। अगर ड्राइवर कहता है कि कोई समस्या नहीं है, तो शिकायत बंद कर दी जाती है। यानी पुलिस किसी भी तरह से पूरे सिस्टम में शामिल नहीं होती।
डायल 100 पर तभी कॉल किया जाता है, जब चालक कोई समस्या बताता है। कंट्रोल कमांड सेंटर से पुलिस को बस की लोकेशन दी जाती है, लेकिन प्रदेश में 90 फीसदी वाहनों की लोकेशन कमांड सेंटर से ट्रैक नहीं हो पा रही है। ऐसे में बस को ट्रेस करना मुश्किल होगा।
108 की तरह कनेक्ट होनी थी सेवा
एक वरिष्ठ परिवहन अधिकारी के औंसर पैनिक बटन सिस्टम तभी काम कर सकता है, जब इसे डायल 100 से इंटीग्रेट किया जाए। पहले ऐसा होना था। यह काम बीएसएनएल को करना था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके लिए कंट्रोल कमांड सेंटर और डायल 100 के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर को उसी तरह कनेक्ट करना होगा, जैसे 108 एंबुलेंस सेवा को किया जाता है।
मध्यप्रदेश में कंपनियां 14 हजार रुपए ले रही हैं
पिछले दो साल में मध्यप्रदेश में सिर्फ 50 हजार वाहनों में ही व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस (वीएलटीडी) और पैनिक बटन लगाए गए हैं। इसके पीछे बड़ी वजह कीमत भी है। विभाग ने प्रदेश में सिर्फ 17 कंपनियों को पैनिक बटन के लिए अधिकृत किया है। इसके चलते कंपनियां मनमानी रकम वसूल रही हैं। प्रदेश में नए वाहन पर दो साल के लिए 14 हजार रुपए में वीएलटीडी और पैनिक बटन लगाए जा रहे हैं। राजस्थान और महाराष्ट्र में यह 9 हजार रुपए में मिल रहा है, जबकि कर्नाटक में 7599 रुपए में। मध्यप्रदेश में ही खुले बाजार में दो साल के लिए डिवाइस की कीमत 8 हजार रुपए है। जनवरी में ट्रांसपोर्ट एसो. के अध्यक्ष सीएल मुकाती ने परिवहन मंत्री को पत्र भी लिखा था।