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Organic Farming:इस तकनीक से करें ऑर्गैनिक खेती, सरकार करेगी आर्थिक मदद

आज के आधुनिक दौर में खाद्य उत्पादों की खरीद के आजकल, खाद्य पदार्थों की खरीद में ऑर्गेनिक मार्क शुद्धता का संकेत है। ऑर्गेनिग, यानी जैविक उत्पादों जैसे सब्जियां, फूल, मसालें और अनाजों की बाजार में मंहगाई के बावजूद मांग बढ़ती जा रही है।

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Organic Farming: Do organic farming with this technique, government will provide financial help

Organic For Better Health & Wealth: आज के आधुनिक दौर में खाद्य उत्पादों की खरीद के आजकल, खाद्य पदार्थों की खरीद में ऑर्गेनिक मार्क शुद्धता का संकेत है। ऑर्गेनिग, यानी जैविक उत्पादों जैसे सब्जियां, फूल, मसालें और अनाजों की बाजार में मंहगाई के बावजूद मांग बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि किसान अब कैमिकल खेती छोड़कर जैविक खेती करने लगे हैं। खेती की इस प्रक्रिया से किसानों पर पड़ने वाले खर्चों को कम किया जाता है और उनकी उत्पादों की बिक्री से उन्होंने अच्छी आमदनी भी कमाई जाती है।

क्या जैविक खेती है?

जैविक खेती, या ऑर्गेनिक खेती, खेती की पारंपरिक प्रणाली है। इस प्रक्रिया में जैव खाद, कंपोस्ट, कीटनाशक और फसल पोषण सब प्रकृति से प्राप्त किए जाते हैं। इसके अलावा, फसल को अधिक पोषण देने के लिए खनिज पदार्थों का भी इस्तेमाल किया जाता है। यह स्पष्ट है कि कैमिकल के अंधाधुंध इस्तेमाल से धरती की उत्पादकता कम होती है, साथ ही फसलों में घुला ज़हर इंसान के शरीर को बहुत बुरा लगता है।

जैविक कृषि के लिए योजनाएँ

भारत में जैविक खेती करने के लिए कम से कम एक एकड़ जमीन की आवश्यकता होती है।जैविक कृषि करने पर तीन वर्ष के लिए कम से कम एक लाख का लोन मिलता है। लोन पाने के लिए किसान को पांच एकड़ जमीन और जैविक खेती का प्रमाणपत्र होना चाहिए। जैविक खेती के प्रमाण पत्र से जैविक फसल को बाजार में उच्च मूल्य मिलता है। जैविक खेती करने वालों को सरकार से ट्रेनिंग और लोन में 20 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी मिलती है। इसके अलावा, सरकार जैविक खेती के लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन और पंरपरागत कृषि विकास योजनाओं जैसे कार्यक्रमों को लागू करती है।

जैविक कृषि के लाभ

जैविक खेती से मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर रहती है और पर्यावरण प्रदूषण कम होता है। जैविक खेती में गोबर की खाद और नीम से बने कीटनाशक मिट्टी को शुद्ध करते हैं। जैविक खेती को बढ़ावा देने से देश में उर्वरक का उपयोग और आयात कम हो सकता है। आज के युवा गांव में लौटकर जैविक खेती के स्टार्टअप करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं। इससे गांव के ही लोगों को काम मिलता है। जैविक उत्पादों की जागरूकता से बीमारियों की संभावना कम हो रही है। जैविक खेती करने से किसानों को उर्वरक की लागत कम होती है और उत्पादन बढ़ता है। जैविक उत्पादों की बाजार में बढ़ती मांग से किसानों को उचित मूल्य मिलता है।

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