अब मात्र 10 रुपए में मिलेगा भरपेट लजीज खाना, रोटी, सब्जी, दाल और चावल के साथ यह सब
श्रम विभाग पिछले दो वर्ष से अडबर चौक नूंह में अपने होटल के पास एक कैंटीन चलाता है। जहां पर प्रतिदिन लगभग 200 मजदूर मात्र 10 रुपये में भोजन भी करते हैं।
Saral Kisan - हम सब दो समय की रोटी के लिए काम करते हैं। यही नहीं, गरीब लोग भी अपने घर छोड़कर दूसरे शहर में काम करने जाते हैं। ताकि वे अपना व परिवार वालों अच्छा गुजारा कर सके। अब श्रम विभाग इन कर्मचारियों का सहारा बन भी रहा है। जो कर्मचारियों को 10 रुपये में भरपेट स्वादिष्ट भोजन दे रहे हैं।
श्रम विभाग पिछले दो वर्ष से अडबर चौक नूंह में अपने होटल के पास एक कैंटीन चलाता है। जहां पर प्रतिदिन लगभग 200 मजदूर मात्र 10 रुपये में भोजन भी करते हैं। उन्हें 10 रुपये का एक टोकन देकर ये खाना ले सकते हैं। 10 रुपये की इस थाली में चार रोटी, एक सब्जी, दाल और चावल हैं। यदि किसी कर्मचारी का पेट इस मात्रा से नहीं भरता तो वे बाहर खाना ले सकते हैं। इस कैंटीन में सब्जियां सीजन पर बनाई जाती हैं। इस कैंटीन में गरीब मजदूरों के लिए हर सीजन की सब्जियां बनाई जाती हैं। मजदूर और गरीब लोग इस कैंटीन में खाना खाने से खुश हैं क्योंकि वे सस्ता और पौष्टिक भोजन मिलता है।
5 महिलाओं को काम मिल गया
इस कैंटीन के जरिए से खाना बनाने वाली महिलाओं को रोजगार भी मिला है।यहां पर 5 महिलाएं खाना बना रही हैं। जिन्हें वेतन लगभग 8 हजार रुपये मिलता हैजिससे उनके परिवार भी सुरक्षित रहते हैंसुबह आठ बजे, समूह की ये पांच महिलाएं खाना बनाने के लिए यहां पहुंचती हैं।और दोपहर तक वहाँ आने वाले सभी गरीब कर्मचारियों को भोजन प्रदान करती है।
सरकारी धन से चलने वाली कैंटीन
श्रम विभाग की मदद से श्रीकृष्ण स्वयं सहायता समूह उजीना ने इस कैंटीन को लगभग दो साल पहले शुरू किया था। इस कैंटीन में गरीब और कर्मचारी प्रतिदिन लगभग 2,000 रुपये का खाना खाते हैं। श्रम विभाग इस कैंटीन को प्रतिदिन 3000 रुपये देता है। जिसमें सब्जी, आटा, दाल, चावल आदि शामिल हैं। कैंटीन में ठंडे पानी की व्यवस्था के साथ साफ-सफाई का पूरा इंतजाम दिखाई देता है। यह बिल्डिंग श्रम विभाग ने कैंटीन के लिए 18000 रुपये प्रति महीने किराए पर दी है। इसके अलावा, श्रम विभाग ही बिजली का बिल भरता है।
नूंह हिंसा के दौरान कैंटीन दो दिन तक बंद रही; आरएएफ के जवान ने 10 रुपये की थाली भी खाई है। नूंह में हुई हिंसा के दौरान भी यह कैंटीन सिर्फ दो दिन बंद रही। नूंह शहर में गरीब मजदूरों के पास खाने का एकमात्र उपाय श्रम विभाग की यह कैंटीन थी।
कैंटीन हिंदू-मुस्लिम एकता का उदाहरण है
श्रम विभाग की अंत्योदय आहार योजना के तहत नूंह शहर के अडबर चौक पर हिंदू-मुस्लिम एकता का उदाहरण है, जो पिछले लगभग दो साल से चल रही है। यहां खाना बनाने वाली पांच महिलाओं में चार हिंदू समाज से हैं, और एक मुस्लिम समाज से है। इसके अलावा, कैंटीन की देखभाल करने वाले लोग भी मुस्लिम हैं। इस कैंटीन में पिछले दो वर्षों में कभी भी आपसी भाईचारे को ठेस नहीं लगी। नूंह हिंसा के दौरान इलाके में लोगों में भय और एक-दूसरे से घृणा देखने को मिल रही थी, लेकिन इस कैंटीन में खाना बनाने वाली पांचों महिलाएं दिन-प्रतिदिन एक-दूसरे के साथ रहती थीं और गरीबों और मजदूरों को भोजन देती थीं।
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