अब ट्रेन के पहिए में सेंसर लगा कर रखी जाएगी निगरानी, गड़बड़ी होने पर तुरंत मिलेगा अलर्ट
Railway News :यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों के पटरी से उतरने की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे अब तकनीक का सहारा ले रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के वारी डिवीजन स्थानों पर डिवाइस लगाई जा रही है। अब चलती ट्रेन के पहिये में किसी भी तरह की दिक्कत आने पर उसे तुरंत पकड़ लिया जाएगा।
Indian Railway : अब चलती ट्रेन के पहिये में किसी भी तरह की दिक्कत आने पर उसे तुरंत पकड़ लिया जाएगा। जिससे पहिये के बैंक या जाम होने से ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा नहीं रहेगा। साथ ही आग भी नहीं लगेगी। इसके लिए उत्तर पश्चिम रेलवे जोन में रेलवे ट्रैक पर हॉट एक्सेल बॉक्स डिटेक्टर (एसीएचआरबीडी) सिस्टम जैसे डिवाइस लगाए जा रहे हैं। जो सीजर के जरिए वशिल पर नजर रखते हैं।
दरअसल, यात्री ट्रेनों और मालगाड़ियों के पटरी से उतरने की घटनाओं को रोकने के लिए रेलवे अब तकनीक का सहारा ले रहा है। उत्तर पश्चिम रेलवे जोन के वारी डिवीजन में 64 स्थानों पर डिवाइस लगाई गई है। पिछले साल इनकी संख्या सिर्फ 16 थी, लेकिन मई में 4 और लगाई गई हैं। जैसे ही ये डिवाइस लगाई गई हैं, वैसे ही कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें समय रहते पता लगने से हादसे टल गए। इसी वजह से सड़कों पर डिवाइस लगाई जा रही हैं। इस बार बजट में भी रेलवे सुरक्षा और संरक्षा पर फोकस किया गया है।
ऐसे काम करती है डिवाइस
यह डिटेक्टर सिस्टम ट्रैक पर लगाया जाता है।
ट्रेन के आने का उपकरण सिग्नल होते ही यह सक्रिय हो जाता है। इससे निकलने वाली लेजर किरणें ट्रेन के दोनों तरफ के पहियों पर पड़ती हैं।
यह पहिये के तापमान और अन्य कारणों से होता है। तकनीकी जानकारी कर्ज लेती है। नजदीकी स्टेशन से डेटा पूरी जानकारी लार्जिर में वर्जित हो जाती है। समय को लेकर कोई दिक्कत होने पर तुरंत अलर्ट मैसेज मिलेगा। संदेश संबंधित कंट्रोल ऑफिस में बीप भी करता है।
ध्वनि और रंग से पहिए की स्थिति का पता चलता
पहले रेलवे कर्मचारी अपने अनुभव के आधार पर पहियों की जांच करते थे। पहिए और पटरी से निकलने वाले आकार और रंग से पहिए की स्थिति का पता चलता है।बयान देते थे। हालांकि यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। जब ट्रेन स्टेशन से गुजरती है तो पहिए को किक किया जाता है।
वे कहते हैं
आरओ उत्तर पश्चिम रेलवे कैप्टन शशिकिरण का कहना है यात्री सुरक्षा के लिए यह सिस्टम बेहद जरूरी है। भी उपयोगी साबित हो रहे हैं। अलर्ट मिलने पर खामियों का पता लगाया गया और तत्काल निर्णय लेकर उनका समाधान किया गया। जिससे अप्रिय घटना टल गई है। इसे रेलवे ट्रैक पर कुछ दूरी पर लगाया गया है। अब तक जयपुर मंडल में 20, बीकानेर मंडल में 18 तथा अजमेर व जोधपुर मंडल में 12-12 स्थानों पर ये लगाए जा चुके हैं। इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है।