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अब उत्तर प्रदेश के किसान करेंगे सफेद मक्के का उत्पादन, एथेनॉल में निभाता है खास भूमिका

उत्तर प्रदेश डिस्टिलरी एसोसिएशन ने गोरखपुर के किसानों को लाभ पहुंचाया है। ICAR की देखरेख में 20 बीघा सफेद मक्के की खेती होगी। IGL ने दस किसानों के साथ अनुबंध किया। सफेद मक्का तैयार होने के साथ ही फसल की बाजार कीमत दी जाएगी। ऐसे में किसानों से अच्छी आय की उम्मीद है।

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Now farmers of Uttar Pradesh will produce white maize, it plays a special role in ethanol

UP News:- गोरखपुर और आसपास कई एथेनाल प्लांट बनाए जा रहे हैं। इन प्लांटों के लिए कच्चे माल की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। टूटे चावल और मक्का जैसे कच्चे माल का उपयोग किया जाता है, लेकिन इसकी पर्याप्त मात्रा नहीं है। उत्तर प्रदेश प्रदेश डिस्टिलरी एसोसिएशन (यूपीडीए) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के साथ मिलकर इस समस्या को हल करने की कोशिश करेगा। इसके लिए किसानों से समझौता होगा। ICAR विशेषज्ञों की देखरेख में उनके खेत में सफेद मक्का बोया जाएगा, जिसे एथेनाल बनाने वाली कंपनी खरीदेगी।

10 किसानों ने गोरखपुर जिले में सफेद मक्के की खेती पर सहमति दी है। इससे इंडिया ग्लाइकाल लिमिटेड (IGL) उनके साथ अनुबंध करेगा और उनके उत्पाद को खरीदेगा। यह कांट्रैक्ट फार्मिंग की शुरुआत है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) पर कंपनियां अभी भी कच्चा माल के लिए निर्भर हैं, लेकिन वहां से पर्याप्त माल नहीं मिलता। मक्के का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि भविष्य में कच्चा माल की कमी न हो। सरकार भी मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) निर्धारित करता है। देवरिया जिले में दो सरकारी केंद्र भी बनाए गए हैं, लेकिन मक्का की पर्याप्त मात्रा नहीं है। मक्के की पैदावार बढ़ाने के लिए यूपीडीए के अध्यक्ष और आइजीएल के बिजनेस हेड की पहल से बहुत कुछ बदलने की संभावना है।

ICAR के साथ भी अनुबंध होगा, IGAL के वरिष्ठ प्रबंधक प्रशासन एवं जनसंपर्क डा. सुनील मिश्र ने बताया। अमेरिकी सफेद मक्के का उत्पादन महत्वपूर्ण होगा। ICAR इस बीज को अध्ययन करेगा। सरदारनगर, भीटी रावत और तेनुहारी क्षेत्र के दस किसानों से बातचीत की गई है। उनकी 20 बीघा जमीन पर पैदावार के लिए अनुबंध किया जाएगा, पायलट प्रोजेक्ट के आधार पर। प्रति बीघा 8–10 क्विंटल उत्पादन का अनुमान है। ICAR के विज्ञानी किसानों को बीज बोने से लेकर फसल तैयार होने तक मार्गदर्शन देंगे। वैज्ञानिकों की निगरानी में कितने कीटनाशक, उर्वरक आदि डालना होगा।

IAGL किसानों को बीज, जोताई, उर्वरक और कीटनाशक देगा। वे शुरू में कुछ नहीं खरीदेंगे। फसल तैयार होने पर खरीद ली जाएगी। किसानों को बीज, जोताई, उर्वरक और कीटनाशक का भुगतान उससे किया जाएगा। प्रयोग सफल होने पर इसे बढ़ाना होगा। मक्के के डंठल भी खरीदेंगे। उनका कहना था कि सफेद मक्के में अधिक स्टार्च होने से यह एथेनाल के लिए बहुत अच्छा है।

यूपीडीए और आईजीएल के बिजनेस हेड एसके शुक्ल ने कहा कि आईसीएआर के साथ मिलकर सफेद मक्का की पैदावार बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसकी शुरुआत गोरखपुर से पायलट प्रोजेक्ट के साथ की जा रही है। आइसीएआर के विज्ञानी किसानों को फसल तैयार होने तक मार्गदर्शन देंगे और बाजार मूल्य पर उनके उत्पाद खरीदेंगे। भविष्य में इसे बढ़ाना होगा। 16 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक अमेरिका में होने वाले विश्व एथेनाल समिट में भाग लेने का मौका मिला है। वहाँ आप बीज और अच्छे मक्के की पैदावार बढ़ाने की प्रौद्योगिकी भी जानेंगे।

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