NHAI : देश में इस हाईवे पर बनाए जाएंगे 4 जंगल, 9,000 करोड़ की ख़र्च से बन रहा है ये प्रोजेक्ट
NHAI : देश के इस हाईवे पर चार नए जंगल बनाए जाएंगे। इसी कड़ी में अब नेशनल हाईवे-48 पर हरियाली को बढ़ावा देने के लिए मियावाकी तकनीक के जरिए 4 छोटे जंगल विकसित किए जाएंगे....
Saral Kisan : देश में एक्सप्रेसवे और हाईवे के निर्माण में सरकार यात्रियों को कई तरह की सुविधाएं देने के मकसद से अनोखे प्रयोग कर रही है. इसी कड़ी में अब नेशनल हाईवे-48 पर हरियाली को बढ़ावा देने के लिए मियावाकी तकनीक के जरिए 4 छोटे जंगल (Mini Amazon) विकसित किए जाएंगे. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अध्यक्ष संतोष कुमार यादव ने इस बात की जानकारी दी है.
उन्होंने शनिवार को एक्सप्रेसवे का निरीक्षण करने के दौरान कहा कि द्वारका एक्सप्रेसवे के शुरू होने से गुरुग्राम और दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) के बीच संपर्क में सुधार होगा. इस परियोजना में सुरंग, अंडरपास, फ्लाईओवर और फ्लाईओवर के ऊपर फ्लाईओवर होंगे.
क्या है मियावाकी तकनीक-
मियावाकी तकनीक छोटी सी जगह में जंगल उगाने का तरीका है, जिसमें स्थानीय प्रजाति के पौधों पर जोर दिया जाता है. मियावाकी पद्धति (Miyawaki Method) वृक्षारोपण की एक जापानी तकनीक है, इसे प्रसिद्ध जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी ने विकसित किया था. इस विधि का प्रयोग कर के घरों के आसपास खाली पड़े स्थान को छोटे बगानों या जंगलों में बदला जा सकता है. इस पद्धति में पौधों को एक-दूसरे से कम दूरी पर लगाया जाता है.
महिपालपुर से गुरुग्राम स्थित खेड़की दौला को जोड़ने के लिए तैयार किए जा रहे द्वारका एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य आखिरी चरण में है. इस एक्सप्रेस-वे के लिए बजघेड़ा से NH-48 पर बनने वाले क्लोवर लीव पर 4 छोटे जंगल विकसित किए जाएंगे.
मियावाकी तकनीक ने ख़राब भूमि को बहाल करने, कार्बन को अलग करने, जैव विविधता को बढ़ावा देने और शहरी क्षेत्रों में हरित स्थान बनाने में अपनी प्रभावशीलता के कारण दुनिया भर में लोकप्रियता हासिल की है. इस तकनीक को पारिस्थितिक तंत्र को बहाल करने और विभिन्न देशों में वन क्षेत्र को बढ़ाने और उनके पुनर्विकास परियोजनाओं के लिए अपनाया गया है.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के महिपालपुर को गुरुग्राम में एनएच-48 पर स्थित खेड़की दौला से जोड़ने के लिए द्वारका एक्सप्रेसवे का निर्माण अंतिम चरण में पहुंच गया है. द्वारका एक्सप्रेसवे करीब 9,000 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जा रहा है. इस सड़क का 18.9 किमी हिस्सा हरियाणा में है और 10.1 किमी हिस्सा दिल्ली में है.
मियावाकी तकनीक से उगे जंगल के फायदे-
जैव विविधता- इस विधि में एक छोटे से क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की देशी पौधों की प्रजातियों को रोपना शामिल है, जिससे जंगल के भीतर अधिक जैव विविधता सुनिश्चित होती है. यह विविधता एक जटिल और स्थिर पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण की ओर ले जाती है, जो विभिन्न वन्यजीव प्रजातियों के लिए आवास प्रदान करती है.
आसपास वृक्षारोपण- इस तकनीक में किसी क्षेत्र में पेड़-पौधे सघन रूप से लगाए जाते हैं, जिससे जंगल जल्दी से स्थापित हो जाते हैं.
बहुस्तरीय वनस्पति- यह तकनीक वनस्पति की विभिन्न परतों के विकास को बढ़ावा देती है, जैसे ऊंचे पेड़, उप-छत वाले पेड़, झाड़ियाँ और जमीन से ढके पौधे आदि.