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प्लॉट को लेकर नई पॉलिसी लागू, अब रेजिडेंशियल प्लॉट को भी करवा सकेंगे कमर्शियल में कन्वर्ट

अधिकारियों ने कहा कि ग्राउंड कवरेज, फ्लोर एरिया रेशियो और प्लॉट की ऊंचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुसार ही रहेंगे। योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए शहरी स्थानीय निकाय एक ऑनलाइन पोर्टल बनाएंगे। इसमें डॉक्युमेंट जमा करने और स्क्रूटनी की लागत भी शामिल होगी। यह कानून नगर निगम की सीमा के भीतर स्थित प्लान्ड स्कीम्स पर लागू होगा।
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New policy regarding plots implemented, now even residential plots can be converted into commercial ones

Saral Kisan - हरियाणा सरकार ने 'हरियाणा म्यूनिसिपल अर्बन बिल्ट-प्लान रिफॉर्म पॉलिसी' को अनुमोदित किया है। यह कमर्शियल प्लॉट्स को प्लान्ड स्कीम्स के तहत रेजिडेंशियल प्लॉट्स में बदल देगा। अधिकारियों का कहना है कि राज्य सरकार का यह कदम प्लान्ड क्षेत्रों में व्यापारिक गतिविधियों को नियंत्रित करेगा, बढ़ती व्यापारिक मांग को पूरा करेगा और बेहतर शहरी योजना में मदद करेगा। साथ ही, रियल एस्टेट एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस कदम से कमर्शियल माल की कीमतें बढ़ सकती हैं। 11 अक्टूबर को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस पॉलिसी को मंजूरी दी गई।

पॉलिसी के अनुसार, संपत्ति मालिकों को रेजिडेंशियल प्लॉट को कमर्शियल प्लॉट में बदलने के लिए 160 रुपये प्रति वर्ग मीटर की कंपोजीशन फीस, 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर की स्क्रूटनी फीस और कमर्शियल कलेक्टर रेट के 5 प्रतिशत के बराबर विकास शुल्क देना होगा।

दायरे में कौन-से क्षेत्र नहीं आएंगे?

यह कानून नगर निगम की सीमा के भीतर स्थित प्लान्ड स्कीम्स पर लागू होगा। इसमें हाउसिंग बोर्ड, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP), हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कॉरपोरेशन (HSIIDC) और शहर और राज्य योजना विभाग द्वारा विकसित क्षेत्र शामिल नहीं होंगे। यद्यपि, इस कानून को अन्य सरकारी नियमों के अधीन सब-डिवाइड करने की अनुमति देने वाले प्लॉट्स पर लागू किया जाएगा। योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए शहरी स्थानीय निकाय एक ऑनलाइन पोर्टल बनाएंगे। इसमें डॉक्युमेंट जमा करने और स्क्रूटनी की लागत भी शामिल होगी।

अवैध कन्वर्जन की खोज के लिए सर्वेक्षण

अधिकारियों ने कहा कि ग्राउंड कवरेज, फ्लोर एरिया रेशियो (FAR) और प्लॉट की ऊंचाई जैसे पैरामीटर मूल आवासीय योजना के अनुसार ही रहेंगे। साथ ही, शहरी स्थानीय निकाय अवैध कमर्शियल कन्वर्जंस की पहचान करने और नोटिस देने के लिए सर्वेक्षण करेंगे। मालिकों को 30 दिन का समय दिया जाएगा कि वे अपनी संपत्ति को रिस्टोर करने या नियमित करने के लिए आवेदन करें। अनुपालन नहीं करने पर सीलिंग या डिमोलिशन सहित कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

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