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उत्तर प्रदेश में 2 शहरों के बीच बसेगा 'नया शहर', जानें- क्यों पड़ी इसकी जरूरत

ग्रेटर नोएडा के बाद अब नोएडा भी एक नया शहर बनाने जा रहा है। यह "दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इंडस्ट्रियल रिजन" कहलाएगा। नए शहर को बुलंदशहर और ग्रेटर नोएडा के बीच 21,000 हेक्टेयर जमीन भी दी गई है।
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'New city' will be built between two cities in Uttar Pradesh, know why it was needed

दिल्ली: ग्रेटर नोएडा के बाद अब नोएडा भी एक नया शहर बनाने जा रहा है। यह "दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इंडस्ट्रियल रिजन" कहलाएगा। नए शहर को बुलंदशहर और ग्रेटर नोएडा के बीच 21,000 हेक्टेयर जमीन भी दी गई है। बुलंदशहर और गाजियाबाद को भी मिलाकर लगभग 86 गांवों की जमीन मिलेगी। नोएडा अथॉरिटी का मास्टर प्लान 2041 तक पूरा होना चाहिए। गौतमबुद्ध नगर में अंतिम गांव मांयचा भी प्राधिकरण के पास है। नए शहर को इसी गांव से लगभग एक किमी दूर दिल्ली-हावड़ा रेलवे लाइन के उस पार बसाने की योजना बनाई जा रही है।

ये स्थान होगा

दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक के इस पार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की जमीन है। विपरीत, गौतमबुद्ध नगर में 20 गांव हैं। बुलंदशहर में 60 गांव हैं। इन्हें एकत्र करके 'नया नोएडा' बनाना होगा। रेलवे ट्रैक से आगे बढ़ने पर गौतमबुद्ध नगर में एक गांव फजायलपुर मिलता है। गाँव के लोगों को अखबार से पता चला कि उनकी जमीन भी नए शहर को मिलने वाली है। इस खबर से अधिकांश ग्रामीण असमंजस में हैं। उन्हें भविष्य की चिंता है।

हमने नोएडा उद्यमी संघ के सदस्य सुधीर श्रीवास्तव से न्यू नोएडा के उद्यमियों की राय जानने की कोशिश की। उनका कहना था कि वे नोएडा में एक केबल बनाने की फैक्ट्री चलाते हैं और इसे विस्तार करना चाहते हैं; लेकिन नोएडा में जमीन नहीं मिलने से उनका प्रोजेक्ट कई साल से ठप है। न्यू नोएडा से अब आशा है।

नवीन क्षेत्रों के लिए बढ़ती उम्मीद

“नोएडा औद्योगिक क्षेत्र में अब जमीन रह नहीं गई है,” सुधीर श्रीवास्तव कहते हैं। यह मुश्किल है कि फैक्ट्री का विस्तार हो। न्यू नोएडा शायद बेहतर हो। लेकिन एक बात है कि एक समय ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन में औद्योगिक क्षेत्र बनाने की योजना बनाई गई थी, लेकिन बाद में जमीनों को भूमि प्रयोग में बदलकर बिल्डर्स को दी गई।

1975 में नोएडा बनाया गया था

1975 में, न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी (नोएडा) को बनाया गया था, जिसमें लगभग 5 लाख लोग रहते थे। आज नोएडा में 6 हजार से अधिक कारखाने हैं। गौतमबुद्ध नगर में लगभग 19 लाख लोग रहते हैं। ऐसे में लोग आबादी और बढ़ते औद्योगिकीकरण का दबाव महसूस कर रहे हैं।

जनसंख्या के अनुपात में इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ा

Sector 52 RWA के पूर्व अध्यक्ष पीके जैन ने कहा, "पुलिस की व्यवस्था कमिश्नरेट बनने से ठीक हुई है, लेकिन नोएडा में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है।" इंफ्रास्ट्रक्चर की आबादी नहीं बढ़ी है। नोएडा बाद में ग्रेटर नोएडा, नोएडा एक्सटेंशन और यमुना एक्सप्रेसवे बन गया। लेकिन जब न्यू नोएडा का मास्टर प्लान सार्वजनिक होगा, तो पता चलेगा कि शहर नए औद्योगिक वातावरण और घरेलू आवश्यकताओं की चुनौतियों का कैसे सामना करता है।

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