MP News: सैनिकों के लिए आईआईटी इंदौर ने बनाए खास तकनीकी के जूते, जीपीएस सुविधा से होंगे लैस
MP News : आईआईटी इंदौर ने जवानों के लिए बेहद उपयोगी जूते बनाए हैं। इन जूतों को पहनकर जवान हर कदम पर अपनी खुद की एनर्जी बना सकेंगे। ट्रैकिंग तकनीक की मदद से हम किसी भी ऑपरेशन को बेहतर तरीके से अंजाम दे सकेंगे।
MP News : आईआईटी इंदौर ने जवानों के लिए बेहद उपयोगी जूते बनाए हैं। इन जूतों को पहनकर जवान हर कदम पर अपनी खुद की एनर्जी बना सकेंगे। यह ऊर्जा जूते के सोल में लगे कैपेसिटर में एकत्र होगी और इसके अंदर लगे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट को पावर देगी। जूतों में ह्यूमन ट्रैकिंग के लिए RAFID और लोकेशन ट्रेसिंग के लिए GPS भी लगा है। इससे जवानों को दूरदराज के इलाकों में भी बिजली न होने की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। वे अपने कदमों से ही ऊर्जा बना सकेंगे।
ट्रैकिंग तकनीक की मदद से हम किसी भी ऑपरेशन को बेहतर तरीके से अंजाम दे सकेंगे। इस इनोवेशन के बारे में आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रो. सुहास जोशी ने बताया कि आज के समय में पोर्टेबल ऊर्जा स्रोतों की बहुत मांग है। आईआईटी इंदौर का यह इनोवेशन इस दिशा में एक बड़ा कदम है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाए गए ये जूते ऊर्जा संचयन में क्रांतिकारी बदलाव लाएंगे। साथ ही रियल टाइम ट्रैकिंग का भी लाभ मिलेगा।
ऊर्जा की मदद से चल सकेंगे छोटे-छोटे सर्किट
इन जूतों में इस्तेमाल की गई तकनीक के बारे में बताते हुए आईआईटी इंदौर के डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट प्रो. आईए पलानी ने बताया कि जूतों में नए ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनो-जेनरेटर (टीईएनजी) सिस्टम लगाए गए हैं। इसे एल्युमिनियम और फ्लोरिनेटेड एथिलीन प्रोपलीन (एफईपी) का इस्तेमाल करके बनाया गया है, जिससे हर कदम पर अपने आप ऊर्जा पैदा हो सकेगी। यह ऊर्जा जूतों के अंदर एक कैपेसिटर में स्टोर होगी और इसकी मदद से छोटे-छोटे सर्किट चल सकेंगे।
बच्चों की निगरानी में भी उपयोगी साबित होंगे
अल्जाइमर से पीड़ित लोगों के लिए भी ये जूते उपयोगी हो सकते हैं। इससे परिवार को मानसिक शांति मिल सकती है। छोटे बच्चों के माता-पिता भी इसका इस्तेमाल बच्चों पर नजर रखने के लिए कर सकते हैं। इन जूतों का इस्तेमाल एथलीट और खिलाड़ियों के अभ्यास को मापने और उनके प्रदर्शन का आकलन करने के लिए भी किया जा सकता है। ये जूते ट्रैकिंग और पर्वतारोहियों के लिए भी अपनी लोकेशन जानने और सुरक्षित रहने के लिए उपयोगी हो सकते हैं।
फिलहाल परीक्षण चल रहा है
फिलहाल डीआरडीओ को 10 जोड़ी जूते दिए गए हैं। उसकी टेस्टिंग चल रही है। फीडबैक लेने के बाद जरूरी बदलाव किए जाएंगे। तकनीक फाइनल होने के बाद इसे प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर किया जाएगा। इसके बाद कमर्शियल लेवल पर उत्पादन होगा। आईआईटी ने डीआरडीओ के साथ मिलकर पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है। आईआईटी इंदौर डीआरडीओ के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर 3 साल से काम कर रहा है। आईआईटी इंदौर के मैकेनिकल ब्रांच के प्रोफेसर के छात्र इस तकनीक को बना रहे हैं।