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MP Indore News : इंदौर में ब्रिज के लिए काटे जाएंगे ढाई सौ से ज्यादा पेड़

Indore MP News :बढ़ते ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए आईटी पार्क चौराहे पर निर्माण कार्य शुरू हो गया है। एक बार फिर हमें अपनी यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए हरियाली को खत्म करना पड़ रहा है।
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MP Indore  News :इंदौर में ब्रिज के लिए काटे जाएंगे ढाई सौ से ज्यादा पेड़

Indore MP News : बढ़ते ट्रैफिक से निजात दिलाने के लिए आईटी पार्क चौराहे पर निर्माण कार्य शुरू हो गया है। एक बार फिर हमें अपनी यात्रा को आरामदायक बनाने के लिए हरियाली को खत्म करना पड़ रहा है। रिंग रोड के किनारे पेड़ों की घनी चादर बन गई थी। वन विभाग ने ऐसे पेड़-पौधे लगाए थे जो आसमान छूने वाले थे। उन्हें महज 7 साल में काटना पड़ रहा है, इसकी शुरुआत भी हो गई है।

40-40 फीट ऊंचे और गहरी छाया देने वाले बादाम के पेड़ भी इसमें शामिल हैं। इसके अलावा आम, जामुन, नीम, गूलर, पीपल और गुलमोहर के पेड़ भी काटे गए हैं। वन विभाग ने 2018 में हरियाली महोत्सव के तहत यहां पौधे लगाए थे। 5 साल तक देखभाल भी की। अब ये पौधे बड़े होने लगे हैं, लेकिन पुल की पक्की एप्रोच के लिए इनकी बलि देनी पड़ रही है। डीएफओ महेंद्र सिसोदिया का कहना है कि कम से कम पेड़ तो काटने दिए जाएंगे। जिन्हें बचाया जा सकता है। उनकी देखभाल की जा रही है। ट्रांसप्लांट भी किए जाएंगे।  तीन हजार से अधिक पेड़ कटने बाकी

आईटी पार्क से आगे बढ़ें तो मूसाखेड़ी चौराहा पहुंचेंगे। यहां भी रिंग रोड की ग्रीन बेल्ट हरियाली से भरी हुई है। यहां भी कुल्हाड़ी की धार हरियाली को खत्म करने के लिए तैयार है। चौराहे के दोनों तरफ की हरियाली को बड़े पैमाने पर हटाया जाएगा। तीन हजार से अधिक पेड़ काटे जाएंगे। लवकुश चौराहे पर सुपर कॉरिडोर की ओर आने वाली भुजा का रास्ता आसान करने के लिए पेड़ों को काटा जाना बाकी है।

निर्माण एजेंसियों को ट्रांसप्लांट मॉडल अपनाना चाहिए

घने छायादार पेड़ों पर कुल्हाड़ी चलाना बहुत आसान है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि एक पौधे को छायादार पेड़ बनने में 5 से 10 साल लग जाते हैं। विकास आज की जरूरत है। शहरों में सुगम यातायात के लिए फ्लाईओवर बनाना भी जरूरी है, लेकिन बेहतर होगा कि निर्माण एजेंसियां ​​पेड़ों को अंधाधुंध काटने के बजाय ट्रांसप्लांट करने पर ध्यान दें। 

हरियाली को मिटाने के बजाय उसे दूसरी जगह लगाना बेहतर है।  पिछले 30 से 40 सालों में इंदौर की 20 प्रतिशत से ज़्यादा हरियाली नष्ट हो चुकी है। इसकी कीमत हम गर्मियों में लगातार लू झेलकर चुका रहे हैं। 70 के दशक में शहर में 30 प्रतिशत हरियाली थी, जो अब सिर्फ़ 9 प्रतिशत रह गई है। हम विकास की कीमत पर विनाश की कहानी लिख रहे हैं। इस साल पड़ रही भीषण गर्मी और भीषण जल संकट हमारे लिए चिंताजनक स्थिति है। अगर अब भी नियंत्रण नहीं किया गया तो स्थिति भयावह हो जाएगी।

 

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