MBA वाला अब बन गया मुर्गे पालन में किंग, अब कमा रहा हैं लाखों, जाने सफलता का राज
Saral Kisan : कुमार गौतम गया जिले के परैया बाजार के निवासी हैं और बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से एमबीए डिग्री प्राप्त कर चुके हैं। वर्तमान में वह यहां के महमदपुर गांव में स्थित महमदपुर मध्य विद्यालय में शिक्षक हैं। वह बच्चों को पढ़ाने के अलावा अपने घर में कड़कनाथ मुर्गे और बटेर पालन करती है। वह इससे हर साल लाखों रुपये कमाता है।
कुमार गौतम का दिनचर्या क्या है?
सुबह उठकर कड़कनाथ मुर्गा और बटेर को चारा देने के बाद कुमार गौतम गुरारू प्रखंड के महमदपुर मध्य विद्यालय में सरकारी स्कूल के बच्चों को पढ़ाते हैं। स्कूल से आने के बाद वह अपना सारा समय बटेर और कड़कनाथ मुर्गों की देखभाल में बिताता है।
कड़कनाथ मुर्गा अच्छी कीमत पर बिकता है
जैसा कि शिक्षक कुमार गौतम बताते हैं, कड़कनाथ मुर्गे को GI टैगिंग मिला और भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने इसका पालन करना शुरू किया, तब से लोगों में इस मुर्गे के पालन का चलन बढ़ गया। कड़कनाथ मुर्गे भी खाने लगे हैं। हम गांव में 800 रुपये प्रति किलो मुर्गे बेच रहे हैं। गया में एक मुर्गे की कीमत एक हजार रुपये प्रति किलो है। प्रमुख शहर जैसे दिल्ली, मुंबई और कोलकाता में मुर्गे का मूल्य 1800 रुपये प्रति किलो है।
मध्य प्रदेश से मुर्गे के चूजे लाए गए
शिक्षक कुमार गौतम ने बताया कि उन्होंने मध्य प्रदेश से कड़कनाथ मुर्गे के चूजों की मांग की है। यह मुर्गा 35 से 40 दिन में व्यस्क हो जाता है। बाद में हम इसे अच्छी कीमतों पर बाजार में बेच देते हैं। इसी तरह बटेर के अंडे भी बनाकर बेचते हैं। एक बटेर चूजा ४० से ४५ रुपये में मिलता है। 45 दिनों में तैयार होने के बाद भी इसे बेच दिया जा सकता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी आय प्राप्त होती है
1995 में गया जिले का परैया प्रखंड नक्सलियों के आतंक में था। यहां बचे हुए कई ग्रामीण गांवों ने डर से भाग लिया। वह खेती ही करते थे। 1997 के बाद, हालांकि, यहां की स्थिति बदली। इसके बाद यहां रहने वाले लोगों ने कई तरह के व्यवसाय शुरू किए। उन्हें इससे अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है।
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