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MP में सर्वे कर नक़्शे का काम पूरा, कागजात नहीं मिलने वाली जमीन होगी सरकारी रिकार्ड में दर्ज

MP News : मध्य प्रदेश में रेजीडेंसी एरिया के वर्षों से चल रही असेवित क्षेत्रों का दस्तावेजीकरण करने की प्रशासनिक तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं।

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MP में सर्वे कर नक़्शे का काम पूरा, कागजात नहीं मिलने वाली जमीन होगी सरकारी रिकार्ड में दर्ज 

Madhya Pradesh News : मध्य प्रदेश में प्रशासन की दो साल की मशक्कत के बाद अब पूरे क्षेत्र का ड्रोन और डोर-टू-डोर सर्वे पूरा हो गया है। क्षेत्र का पूरा नक्शा तैयार हो गया है, क्षेत्र में कौन सी संपत्ति किसकी है, इसकी सूची बनाने का काम भी अंतिम चरण में है। अब प्रशासन जल्द ही अधिकार अभिलेख के तहत इसका पहला प्रकाशन करेगा। इसके साथ ही दावे-आपत्तियां भी मंगाई जाएंगी। सर्वे में कई जमीनों के रिकॉर्ड नहीं मिले। ऐसे में इन जमीनों को सरकारी घोषित किया जाएगा। इनमें आजाद नगर जैसा बड़ा क्षेत्र भी है, जो अभी भी अवैध कॉलोनियों की सूची में शामिल है।

रेजीडेंसी एरिया सर्वे के समय तक दस्तावेज 1030 एकड़ बताए जा रहे थे। जब सर्वे हुआ तो पता चला कि असेवित क्षेत्र सिर्फ 730 एकड़ है। पहले 5 सेक्टर जमीन का बंटवारा कर सर्वे किया जा चुका है। जमीन मालिक से जुड़े दस्तावेज जुटाए जा चुके हैं। अब इन्हें रिकॉर्ड में डालने का काम चल रहा है। कौन सी संपत्ति किसके नाम पर है और उसके दस्तावेज कितने सही हैं, इसकी भी जांच की जा रही है। इससे पहले प्रशासन ने पूरे रेजीडेंसी क्षेत्र में लोगों को नोटिस जारी कर दस्तावेज मांगे थे।

रेजीडेंसी विलेज के नाम से दर्ज होगा नाम

कई लोगों ने दस्तावेज नहीं दिए थे। आजाद नगर और शुक्ला नगर क्षेत्र समेत कुछ और क्षेत्र हैं, जिनके दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे। पूरी प्रक्रिया के बाद रेजीडेंसी विलेज के क्षेत्र का नाम जीआईएस पोर्टल पर दर्ज हो जाएगा। इससे न सिर्फ यहां रहने वाले निवासियों को जमीन का हक मिलेगा, बल्कि जो निवासी दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा पाए हैं, उन्हें भी हक मिल सकेगा। प्रशासन ने उक्त जमीन की ऑफलाइन लिस्टिंग पूरी कर ली है। नाम दर्ज कराने की प्रक्रिया के बाद एप पर प्रकरण दर्ज कर भूखंड को सूचीबद्ध किया जाएगा। फॉर्म

जल्द ही जारी होगी मालिकाना सूची

जल्द ही संपत्तियों और उनके मालिकाना हक की सूची दावे और आपत्तियों के लिए सार्वजनिक की जाएगी। इसके बाद दावे और आपत्तियों की सुनवाई कर उनका निराकरण किया जाएगा। जिन जमीनों के दस्तावेज नहीं मिले हैं, उन्हें सरकारी रिकॉर्ड में लिया जाएगा

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