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Kharif Onion Farming : अब इस तरीके से करें प्याज की खेती, नर्सरी से लेकर रोपाई तक अपनाएं यह तरीका

Precautions for Kharif Onion Farming : भारतीय थाली में व्यंजनों का जायका बढ़ाने के लिये प्याज  (Onion) का इस्तेमाल कफी लंबे समय से जा रहा है. जाहिर है कि ये सब्जी स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी तौहफा देती है.
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Kharif Onion Farming: Now cultivate onion in this way, adopt this method from nursery to transplanting.

Precautions for Kharif Onion Farming : भारतीय थाली में व्यंजनों का जायका बढ़ाने के लिये प्याज  (Onion) का इस्तेमाल कफी लंबे समय से जा रहा है. जाहिर है कि ये सब्जी स्वाद के साथ-साथ सेहत का भी तौहफा देती है.

प्याज  (Onion) में कई औषधीय गुण होते हैं, यही करण है कि अलग-अलग तरह की डिश के साथ सलाद की शोभा बढ़ाने में भी प्याज  (Onion) का रोल है.

यही कारण है कि भारत में सालभर प्याज  (Onion) की मांग बनी रहती है, इसलिये इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. किसान चाहें तो खरीफ मौसम में प्याज  (Onion) की नर्सरी लगाकर अच्छी आमदनी अर्जित कर सकते हैं.

जानकारी के लिये बता दें कि प्याज  (Onion) एक रबी की फसल है, जिसकी खेती मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात में की जाती है. ये राज्य दूसरे राज्यों की प्याज  (Onion) की मांग को भी पूरा करते हैं, लेकिन अक्टूबर के बाद इसका भंडारण करना बेहद मुश्किल हो जाता है.

इसलिये भारत सरकार की योजना मिशन ऑफ इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH)के तहत अब उत्तर भारत में प्याज  (Onion) की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इस मिशन के लिये हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश को चुना गया है. जिससे कि ये राज्य प्याज  (Onion) की उपयोगिता के लिये दूसरे राज्यों पर निर्भर न रहें।

खरीफ प्याज  (Onion) की नर्सरी

खरीफ प्याज  (Onion) की बुवाई के लिए इसकी नर्सरी तैयार करने की सलाह दी जाती है. नर्सरी तैयार करने के लिये किसान उन्नत किस्म और प्रजाति के बीजों का ही चुनाव करें. राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि वैज्ञानिक एग्री फाउंड डार्क रेड को सबसे बेहतर मानते हैं. अच्छे उत्पादन और स्वस्थ फसल के लिये किसी सरकारी संस्था या अच्छी कंपनी के बीजों को ही खरीदें. जानकारी के लिये बता दें कि खरीफ प्याज  (Onion) की नर्सरी लगाने के लिये 15 जून से लेकर 15 जुलाई का समय बेहतर रहता है. बुवाई के लिये पहले बीजोपचार का काम कर लें.

खरीफ प्याज  (Onion) की किस्में

खरीफ प्याज  (Onion) की खेती में चुनौतियां भी बहुत हैं लेकिन अगर उत्पादन अच्छा हो तो अच्छी आमदनी और बाजार मांग को पूरा किया जा सकता है. राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान और विकास संस्थान और कृषि विज्ञान केंद्र कार्यरत वैज्ञानिक नर्सरी के लिये अच्छी किस्म के बीजों के इस्तेमाल की सलाह देते हैं. इसमें- एग्री फाउंड डार्क रेड  , लाइन-883, भीमा रेड और पूसा रेड आदि प्रजातियां शामिल हैं. खरीफ प्याज  (Onion) के लिये एग्री फाउंड डार्क रेड को सबसे बेहतर किस्म बताया गया है, इसमें रोगों की संभावना कम होती है और ये किस्म 80-100 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इसके अलावा, लाइन-883 किस्म भी 75 दिनों में पककर तैयार कटाई के लिये तैयार हो जाती है. भीमा रेड और पूसा रेड भी वैज्ञानिकों द्वारा सुझाई गई प्याज  (Onion) की उन्नत किस्में हैं.

खेत की तैयारी

प्याज  (Onion) की नर्सरी भी 40-45 दिनों में तैयार हो जाती है, जिसके बाद मौसम को ध्यान रखते हुये, इसकी रोपाई खेतों में कर देनी चाहिये. प्याज  (Onion) की नर्सरी में लगी पौध को लगाने से पहले मिट्टी का सौरीकरण जरूर करें, इससे मिट्टी से कीड़े-मकोड़े बाहर निकल जाते हैं. इसके लिये खेत में 2-3 गहरी जुताई करें और जमीन को पाटा चलाकर समतल कर लें. खेतों में प्याज  (Onion) की क्यारियां बनायें, इससे निराई-गुड़ाई में आसानी रहेगी. फसल से अच्छे उत्पादन के लिये मिट्टी में वर्मीकंपोस्ट और माइकोडर्म मिलाकर हल्की सिंचाई का काम करें.

फसल की सिंचाई

खेत में रोपाई से पहले और रोपाई के बाद शाम के समय हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है. अगेती खरीफ प्याज  (Onion) की फसल में 5-8 बार और पछेती फसल में 10-12 बार सिंचाई करना ठीक रहता है. फसल में नमी बढ़ने और बारिश के समय पर सिंचाई नहीं करनी चाहिये. फसल खुदाई के 10-12 दिन पहले सिंचाई का काम बंद देना चाहिये, इससे फसल में सड़न की संभावना बढ़ जाती है.

बरतें सावधानियां

खासकर उत्तर भारत के किसान को खरीफ प्याज  (Onion) के लिए नर्सरी तैयार करते समय सानधानियां बरतनी चाहिये. खरीप मौसम में नर्सरी तैयार करने पर मौसम की अनिश्चितताओं का खतरा बना रहता है. जून की तपती गर्मी में तापमान ज्यादा होता, लेकिन बेमौसम बारिश ये तापमान गिरने लगता है, इससे नर्सरी में पानी भरने की समस्या पैदा हो सकती है. वहीं बारिश होने से फसल में नमी का खतरा होता है, जिससे कीड़े और रोगों की संभावना भी बढ़ जाती है.

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