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बिजली से ट्रेन की तरह फर्राटा भरेंगे बस, ट्रक और कार, देश में यहां बनेगा पहला इलेक्ट्रिक एक्सप्रेसवे

Solar Energy On Delhi Mumbai Expressway : देश में 1350 किलोमीटर लंबा हाईटेक सड़क मार्ग बनाया जा रहा है। इस हाईटेक हाईवे पर तमाम तरह की सुख सुविधा का आधुनिक व्यवस्था आपको मिलेगी। इस हाईटेक हाईवे पर पेट्रोल डीजल गाड़ियों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक वाहन भी दौड़ते हुए आपको नजर आएंगे। 

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बिजली से ट्रेन की तरह फर्राटा भरेंगे बस, ट्रक और कार, देश में यहां बनेगा पहला इलेक्ट्रिक एक्सप्रेसवे

Expressway : देश के चारों तरफ सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है। देश को पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक सड़को से जोड़ने के लिए लगातार नए प्लान पर कार्य किया जा रहा है। आम जनता की यात्रा को सरल, सुगम की पार्टी बनाने की दिशा में सरकार लगातार नए-नए प्रोजेक्ट लांच कर रही है। इन परियोजनाओं के जरिए छोटी से लेकर बड़े-बड़े हाईवे तक का निर्माण किया जा रहा है।

यह राजमार्ग हरियाणा से सूरत तक बनने के अंतिम चरण में है। इसके उद्घाटन से छह राज्यों के लोगों को बेहतर सड़कों से कम समय में अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, इस एक्सप्रेसवे की एक अतिरिक्त विशेषता है, जो सभी को जानना अनिवार्य है। 8 लेन दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहन (EV) भी चल सकेंगे।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रिक हाईवे

केंद्रीय सरकार का लक्ष्य है कि दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे को इलेक्ट्रिक हाईवे या ई-हाईवे बनाया जाए। जानकारी के अनुसार, अच्छी गति और भीड़भाड़ कम होने से लॉजिस्टिक खर्च साठ प्रतिशत कम होगा। क्योंकि ई-हाइवे बनने से बिजली की जगह डीजल-पेट्रोल का उपयोग किया जाएगा इस 8 लेन एक्सप्रेसवे के दोनों ओर इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए एक-एक लेन बनाया जाएगा। सुरक्षा के लिए दोनों ओर 1.5 मीटर ऊंचा बैरियर भी बनाया जाएगा। स्लिप लेन के भीतर एक टोल प्लाजा भी बनाया जाएगा। इस परियोजना के शुरू होने से लगभग 32 लीटर ईंधन बच जाएगा। बता दे की साथ ही सोलर एनर्जी और स्टेट ग्रिड दोनों का उपयोग करके एक्सप्रेसवे के के किनारे लाइट की व्यवस्था की जाएगी।

इस पर दिल्ली-मुंबई इलेक्ट्रिक हाईवे पर चलने वाले ट्रॉलीबस की तरह ट्रॉली ट्रक चलेंगे। ऐसे इलेक्ट्रिक हाईवे में वाहनों को ऊर्जा ओवरहैड वायर्स (सड़क के ऊपर लगे बिजली की तारों) से दी जाती है। इलेक्ट्रिक हाईवे में वाहनों को जमीन से या फिर ट्रेनों से बिजली मिलती है। इन वाहनों को चार्जिंग स्टेशनों पर रुककर चार्ज नहीं करना चाहिए। कुल मिलाकर, ट्रेन की तरह पेंट्रोग्राफ वाहनों पर लगाया जाता है, जो तारों को टच करता है, जहां से इंजन में ऊर्जा पहुंचती है।

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