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भारत पर लगातार बढ़ रहा हैं कर्ज, 2.47 ट्रिलियन डॉलर पहुंचा आंकड़ा, बड़ी चिंता की बात

India's Total Debt Rise : गत वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में कुल कर्ज 2.34 ट्रिलियन डॉलर या करीब 200 लाख करोड़ रुपये था, लेकिन चालू वित्त वर्ष की सितंबर तिमाही में यह बढ़कर 2.47 ट्रिलियन डॉलर या 205 लाख करोड़ रुपये हो गया।

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India's debt is continuously increasing, figure reaches 2.47 trillion dollars, a matter of great concern

Debt Rise : भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन गया है। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि इसके साथ ही देश पर कर्ज का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में देश का कुल कर्ज 2.47 ट्रिलियन डॉलर (205 लाख करोड़ रुपये) हो गया है। लेकिन इस बीच डॉलर की कीमत में हुई बढ़ोतरी ने भी कर्ज के आंकड़े को बढ़ा दिया है। 

देश का कुल कर्ज इतना बढ़ा

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले वित्त वर्ष की जनवरी-मार्च तिमाही में कुल कर्ज 2.34 ट्रिलियन डॉलर (करीब 200 लाख करोड़ रुपये) था। इंडियाबॉन्ड्स डॉट कॉम के सह-संस्थापक विशाल गोयनका ने केंद्र और राज्यों पर कर्ज के आंकड़े पेश किए हैं, RBI के आंकड़ों का हवाला देते हुए।

सितंबर तिमाही में केंद्र सरकार का कर्ज 161.1 लाख करोड़ रुपये था, जो मार्च तिमाही में 150.4 लाख करोड़ रुपये था, उन्होंने बताया। इसके अलावा, राज्य सरकारों का कुल कर्ज 50.18 लाख करोड़ रुपये है।गौरतलब है कि इस अवधि में अमेरिकी डॉलर की कीमत बढ़ने का भी इस आंकड़े पर प्रभाव पड़ा है। दरअसल, इसे भी समझ सकते हैं कि मार्च 2023 में एक डॉलर 82.5441 रुपये था, जो अब 83.152506 रुपये हो गया है। 

रिपोर्ट में ये आंकड़े

IndiaBonds.com की ये रिपोर्ट RBI, CCI और Sebi से जुटाई गई है। इसमें बताया गया है कि कुल कर्ज का 46.04 प्रतिशत, या 161.1 लाख करोड़ रुपये, केंद्र सरकार पर है। इसके अलावा, राज्यों का हिस्सा 50.18 लाख करोड़ रुपये या 24.4% है।

रिपोर्ट में राजकोषीय खर्च का ब्योरा भी दिया गया है, जो 9.25 लाख करोड़ रुपये है और कुल कर्ज का 4.51 फीसदी है। इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कॉरपोरेट बॉन्ड की हिस्सेदारी, 44.16 लाख करोड़ रुपये, कुल कर्ज में 21.52 फीसदी थी। 

IMF ने कर्ज पर चेतावनी दी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पहले भी भारत को कर्ज को लेकर चेताया था। अंतरराष्ट्रीय संस्था ने कहा कि भारत का सामान्य सरकारी कर्ज, केंद्र और राज्यों को मिलाकर, मध्यम अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 100 प्रतिशत से अधिक हो सकता है। ऐसे में लॉन्ग टर्म में कर्ज चुकाना मुश्किल हो सकता है। केंद्र सरकार, हालांकि, आईएमएफ की रिपोर्ट से असहमत है और मानती है कि सरकारी कर्ज से जोखिम बहुत कम है क्योंकि अधिकांश कर्ज रुपये में है।

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