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Indian Railways : आम कोचों में भी लगेगी शताब्दी जैसी बड़ी खिड़कियां, रेल्वे ने इसलिए लिया फैसला

Indian Railways : भारतीय रेलवे अब केवल विस्टाडोम नहीं आम एलएचबी कोच में भी आपको पेनोरैमिक व्यू वाले विंडो बनाए जा रहे हैं। अभी तक ऐसी खिड़कियां केवल प्रीमियम एसी ट्रेनों और वंदे भारत में देखने को मिलती थीं। जानिए विस्तार से-
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Indian Railways: Big windows like Shatabdi will be installed in common coaches too, this is why Railways took the decision.

Saral Kisan : भारतीय रेलवे ( Indian Railways ) अपने यात्रियों की सुविधाओं के लिए निरंतर प्रयासरत रहता है. इसी कदम में नए बदलाव भी किये जाते हैं ताकि यात्रियों की यात्रा का अनुभव सुखद हो सके. इस प्रयास में अब नए एलएचबी (LHB- Linke Hofman Bush) कोच में खिड़कियों को बड़ा कर दिया गया है. यह किसी तकनीकी वजह से नहीं किया गया है. इसका कारण लोगों का सफर और आनंदमय बनाना ही है. हालांकि, बहुत कम ही लोग जानते होंगे कि ऐसा क्यों किया जा रहा है.

पहले बड़ी कांच वाली विंडो केवल विस्टाडोम कोच में ही लगाई गई थीं. यह विंडो आपको वंदे भारत ट्रेनों में देखने को मिली होगी. अब इन्हें सामान्य कोच में भी लगा दिया गया है. ऐसा यात्रियों को पैनोरैमिक व्यू देने के लिए किया गया है. पैनोरैमिक व्यू भी आपको विस्टाडोम कोच में ही देखने को मिल रहा था. अगर आम भाषा में कहा जाए तो 160-175 डिग्री तक का व्यू दिखाने वाली खिड़की को पैनोरैमिक विंडो कहा जाता है जो छोटी खिड़कियों से संभव नहीं है. एलएचबी कोच में भी अब विंडो साइज 1100 एमएम (L) x 680 एमएम (H) कर दिया गया है.

स्क्रूलैस मॉड्यूलर इंटीरियर:

विस्टाडोम और एलएचबी कोच में बड़ी विडों के साथ स्क्रूलैस मॉड्यूलर इंटीरियर ( screwless modular interior ) लगाया गया है. खिड़कियों पर पीवीबी फिल्म भी लगाई गई हैं. ट्रेन कोट में गर्मी कम हो तो हीट इंसुलेशन के लिए भी खास तरह की शीट का इस्तेमाल किया गया है. एक एलएचबी कोच में 2 फिक्स्ड विंडो, 4 इमरजेंसी ओपनेबल विंडो और हॉपर टाइप 3 विंडो होती हैं.

क्या होते हैं एलएचबी कोच:

लिंक हॉफमैन बुश जिन्हें आमतौर पर एलएचबी कोच कहा जाता है भारतीय रेलों में लगाए जा रहे नए तरह के कोच हैं. इसका नाम जर्मनी की कंपनी Linke Hofman Bush के नाम पर पड़ा है. हालांकि, इस कंपनी का नाम अब Alstom Transport Deutschland हो गया है. इस कोच को सबसे पहले भारतीय रेलवे ( Indian Railways ) ने 2000 में इस्तेमाल किया था. पहले इन्हें जर्मनी से आयात किया जाता था लेकिन 2000 के बाद से इसे पंजाब के कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री में बनाया जाने लगा. इन कोच की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे इंजन 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से खींच सकता है. यह काम पहले इस्तेमाल हो रहे कोच से नहीं किया जा सकता था. कुल 15 तरह के एलएचबी कोच होते हैं. ये कोच एंटी टेलीस्कोपिक होते हैं. इसका मतलब है कि ये कोच पूरी तरह से पलटते नहीं हैं इसलिए यह अधिक सुरक्षित होते हैं.

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