Income Tax: अगर खरीद रहे है इतने रुपए में प्रॉपर्टी, तो जान ले कितना देना पड़ेगा टैक्स
Saral Kisan : अगर आपने चालू खाते में पच्चीस लाख रुपये या बचत खाते में दस लाख रुपये डाले हैं। 30 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति खरीदी गई है। अगर आपने आयकर विभाग को ऐसे मामलों की जानकारी नहीं दी तो आयकर रिटर्न (ITR) में नहीं दे सकता है। अधिकारियों ने कहा कि विभागों को पिछले वित्तीय वर्ष का फाइनैंसियल ट्रांजेक्शन स्टेटमेंट (SFT) दाखिल करना जरूरी भी होगा।
SFT से ऐसे लेनदेन या खरीद-फरोख्त की जानकारी ITR में नहीं दी जाएगी। फिर उनसे लेनदेन या खरीद-फरोख्त के बारे में सूचना दी जाएगी। यदि गहन जांच के बाद सही उत्तर नहीं मिला तो टैक्स वसूला जाएगा। SFT की जानकारी नहीं देने पर एक हजार रुपये प्रतिदिन का जुर्माना लगाया जाएगा। SFT की जानकारी बैंकों, रजिस्ट्री ऑफिस, वित्तीय संस्थानों और शेयर खरीद-फरोख्त करने वाले संस्थानों से मांगी गई है। इस सूचना में UIID या PAN का उल्लेख होगा,
आयकर विभाग की टीम इसके माध्यम से ITR भरने वालों तक पहुंच सकती है। यदि कोई व्यक्ति अपने ITR में अघोषित लेनदेन का उल्लेख नहीं करता है, तो SFT से प्राप्त डेटा के आधार पर उसे नोटिस भेजा जाएगा और उसका उत्तर मांगा जाएगा। जांच बंद हो जाएगी अगर उत्तर संतोषजनक है, अन्यथा गहन जांच के लिए निर्देश दिए जाएंगे। गड़बड़ी होने पर जुर्माना लगाया जाएगा। SFT डेटा देने में विभाग और संस्थान बार-बार देरी करते हैं, इसलिए इस बार 31 मई की तिथि तय करके जुर्माने की शर्त को सख्ती से लागू करने के लिए कहा गया है।
आयकर विभाग के अधिकारियों ने बताया कि भूखंड और भवन खरीद-फरोख्त की रजिस्ट्री सब रजिस्ट्रार कार्यालय में होती है। वहां 30 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति किसी ने खरीदी है। इसलिए उसकी सूचना देनी होगी। इसमें बैंक, कोऑपरेटिव बैंक, एनबीएफसी, निधि, पोस्ट मास्टर जनरल, शेयर, डिबेंचर और बॉड, म्यूचुअल फंड ट्रस्टी, विदेशी एक्सचेंज डीलर और लाभांश देने वाली कंपनियां शामिल हैं। 31 मई तक सभी को आयकर विभाग को अपने उपभोक्ता डेटा देना होगा।
आयकर विभाग ने यह नियम टैक्स चोरी और गैरकानूनी खर्च पर नजर रखने के लिए बनाया है। SFT इसे ट्रैक करता है। विभिन्न संगठनों और संस्थानों के पास खर्च करने की सीमा है। यदि किसी संस्थान, संगठन या विभाग ने उस सीमा से अधिक लेनदेन किया है तो उनका डेटा आयकर विभाग से साझा किया जाना चाहिए।
आयकर विभाग के अधिकारी संबंधित व्यक्ति के ITR से उस डेटा को मिलाते हैं। ITR में उस खर्च का उल्लेख नहीं है तो वह अघोषित है। फिर आयकर दाता को उस खर्च के बारे में सूचना दी जाती है और विवरण मांगा जाता है। एक वित्त वर्ष में 10 लाख रुपये या अधिक धन बचत खाते में जमा या निकाल देते हैं। यह नियम एक खाते से अधिक पर भी लागू होगा।
10 लाख रुपये से अधिक का डिमांड ड्राफ्ट, पे ऑर्डर या बैंकर चेक कैश किसी ने बनाया
-पचास लाख रुपये या इससे अधिक की नकदी चालू खाते में जमा या निकासी
- एक वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक की फंडिंग कराने पर
- एक लाख रुपये से अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल कैश में जमा करने पर
10 लाख रुपए से अधिक का क्रेडिट कार्ड बिल भरने पर
- किसी वस्तु या सेवा को खरीदने पर 2 लाख रुपये से अधिक नकद का भुगतान
30 लाख रुपये से अधिक की संपत्ति खरीदने पर
आयकर विभाग के सूत्रों ने बताया कि दो हजार रुपये की नोटबदली के बाद बड़े पैमाने पर अघोषित लेनदेन और संपत्ति खरीदारों का प्रवेश हुआ है।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के निर्णय के बाद बहुत से बैंक खातों में 10 लाख रुपये या इससे अधिक जमा कराए गए, जिनमें कभी कोई बड़ा लेनदेन नहीं हुआ था। जमीन की खरीदारी भी बहुत अच्छी हुई है। यही कारण है कि आयकर विभाग ने SFT की डिटेल को इस बार अधिक कठोर बनाया है। इस तरह का डेटा आगे भी मांगा जा सकता है।
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