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UP में बैंकों द्वारा शिक्षा और घर मकान के लिए लोन देने में अयोग्यता, रिकॉर्ड खराब

Saral Kisan-प्रदेश की वार्षिक ऋण योजना के लक्ष्य को भेदने के बावजूद भी बैंकों द्वारा शिक्षा और आवास के क्षेत्र में लोन देने का रिकॉर्ड खराब चल रहा है। बैंक इस क्षेत्र में तय सालाना लक्ष्य के इर्द-गिर्द भी पिछले दो सालों में नहीं पहुंच सके हैं। वर्ष 2021-22 में कुल लक्ष्य का महज 40% और 2022-23 में कुल लक्ष्य का 41% ही लोन बैंकों ने इस क्षेत्र में लोगों को दिए हैं
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Ineligibility of banks in giving loans for education and house in UP, record is bad

Saral Kisan- प्रदेश की वार्षिक ऋण योजना के लक्ष्य को भेदने के बावजूद भी बैंकों द्वारा शिक्षा और आवास के क्षेत्र में लोन देने का रिकॉर्ड खराब चल रहा है। बैंक इस क्षेत्र में तय सालाना लक्ष्य के इर्द-गिर्द भी पिछले दो सालों में नहीं पहुंच सके हैं। वर्ष 2021-22 में कुल लक्ष्य का महज 40% और 2022-23 में कुल लक्ष्य का 41% ही लोन बैंकों ने इस क्षेत्र में लोगों को दिए हैं।


इस साल शिक्षा और आवास क्षेत्र के लिए 35,179.53 करोड़ का लक्ष्य रखा गया है। नई वार्षिक कार्ययोजना 2023-24 के लिए शिक्षा और आवास के क्षेत्र में लोन देने के लिए बैंकों ने 35,179.53 करोड़ रुपये की वार्षिक ऋण योजना बनाई है। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति उत्तर प्रदेश की बैठक में इस क्षेत्र में मिले लक्ष्य को पूरा करने के निर्देश भी बैंकों को दिए गए हैं। इसके अलावा एसएलबीसी की सूची में उत्तर प्रदेश में पब्लिक सेक्टर के 12, कामर्शियल 21 और स्मॉल फाइनेंस बैंक 10 हैं। एलआईसी, एचएफएल, और इंश्योरेंस क्षेत्र के बैंक इस सूची में शामिल नहीं हैं जो आवास के लिए लोन देते हैं।


एमएसएमई क्षेत्र में लक्ष्य से करीब दोगुना लोन दिए गए हैं। प्रदेश की सालाना ऋण योजना और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में लोन देने का ब्यौरा बीते दिनों हुई एसएलबीसी की बैठक में प्रस्तुत किया गया। रिपोर्ट में बीते वित्तीय वर्ष 2022-23 में प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में ऋण वितरण के मिले लक्ष्य के सापेक्ष 102% ऋण दिए जाने का जिक्र है। प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता वाले क्षेत्र जो कि सीधे रोजगार से जुड़ा है, एमएसएमई को बैंकों ने खूब लोन दिया है। लक्ष्य पार करते हुए दोगुने के करीब 191% पर पहुंच गए हैं। कृषि क्षेत्र में भी स्थिति संतोषजनक कही जा सकती है, इस क्षेत्र में बैंकों ने 74% लोन दिए हैं। तीसरी प्राथमिकता सेवाएं (शिक्षा-आवास व अन्य) के क्षेत्र में रिपोर्ट निराशाजनक कुल 41% रही है।

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