राजस्थान में शॉप, घर और ऑफिस लेने पर खर्च होगा ज्यादा पैसा, जमीन रजिस्ट्री हुई महंगी
Rajasthan News : राजस्थान में घर, दुकान और दफ्तर खरीदना बहुत महंगा हो गया है। नौ महीने बाद, राज्य सरकार ने फिर से डीएलसी दरों में 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। डीएलसी दरों में शहरी क्षेत्रों में 5 से 20 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 50 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। शहरों से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में दरें अधिक बढ़ी हैं। 2024 में सरकार ने पहले 10% दरों में बढ़ोतरी की थी।
राज्य सरकार ने जून में सभी जिलों की जिला स्तरीय कमेटी (डीएलसी) से प्रस्ताव मांगे थे। डीएलसी दरों में बढ़ोतरी के प्रस्तावों को राज्य के सभी जिलों में प्रत्येक रजिस्ट्रार से भेजा गया। इन प्रस्तावों पर जिलों में बैठकें हुईं। 28 जून को जयपुर में भी जिला कमेटी की बैठक हुई थी। इन बैठकों में जिलों के विधायक भी उपस्थित थे। बैठकों में निर्धारित दरों को पांच महीने बाद वित्त विभाग से मंजूरी मिलने पर पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग ने राज्य भर में बढ़ी दरों को लागू किया।
वर्गगज में न होकर, वर्गमीटर में ही होगी रजिस्ट्री
शहरी क्षेत्रों में जमीन की रजिस्ट्री वर्गमीटर में होगी, न कि वर्गगज में। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि भूमि की रजिस्ट्री हैक्टेयर में होगी, न कि बीघा में। विभाग ने शनिवार और रविवार को अवकाश के दिनों में कम्प्यूटर सिस्टम में बड़ी दरों को अपडेट किया ताकि बढ़ी दरें सोमवार से ही लागू हो सकें। डीएलसी दरें 50 प्रतिशत तक बढ़ाई गई हैं जिन ग्रामीण क्षेत्रों में शहरीकरण तेजी से बढ़ा है। इसके अलावा, सिंचित कृषि भूमि की डीएलसी दरें पचास प्रतिशत बढ़ी हैं।
जगतपुरा के क्षेत्र में हुआ, इजाफा
जयपुर में दरें 20% बढ़ी हैं। यह बढ़ोतरी 5% से 20% तक हो सकती है। रिंग रोड, सीकर रोड और जगतपुरा क्षेत्र में डीएलसी दरों में वृद्धि हुई है। डीएलसी दरें शहरी क्षेत्रों से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ी हैं। राजस्व ग्रामों और पंचायतों में दरें बहुत कम थीं। किसानों को राजस्व में कमी के साथ-साथ जमीन के अधिग्रहण में भी कम मुआवजा मिला।
जिला स्तरीय समिति तय करती है, दरें
सरकार बाजार में जमीन की कीमत निर्धारित करती है। जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति इसका निर्णय लेती है। दरों को निर्धारित करने के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में विधायक भी भाग लेंगे। डीएलसी दर कमिटी में निर्धारित दरों को कहते हैं। इस दर पर अचल संपत्ति की रिकॉर्डिंग होती है। सरकार जमीन भी देती है। शहरी क्षेत्रों में, नगरीय निकाय (नगर पालिकाएं, हाउसिंग बोर्ड, यूआईटी और विकास प्राधिकरण) आरक्षित दर पर जमीन देते हैं। आरक्षित दरों में भी विकास शुल्क शामिल है।
ग्रामीण क्षेत्रों में हटाई गई, 300 मीटर की बाध्यता
नए प्रावधानों से ग्रामीण लोगों को लाभ होगा। अब तक, डीएलसी हाइवे से 300 मीटर तक कोई भी संरचना, टीनशेड आदि, बनाए जाते रहे हैं। यानि अब केवल रोड से सटे निर्माणों पर नई डीएलसी लागू होगी, जो इस दूरी तक वाणिज्यिक धन प्राप्त करता था। 300 मीटर से अधिक कृषि भूमि पर, चाहे वहां कमरा या टीन शेड जैसी संरचनाएं बनाई गई हों, वाणिज्यिक दरें लागू नहीं होंगी।
अप्रेल में हुई, डीएलसी दरों में वृद्धि
भाजपा की सरकार बनने के बाद अप्रेल में डीएलसी दरों में वृद्धि की गई। डीएलसी दरों में 10% का इजाफा हुआ था। यह एक और अवसर है जब दरें बढ़ाई गई हैं। सरकार ने 30 जून तक सभी जिला कलक्टरों को डीएलसी दरों की बढ़ोतरी के प्रस्ताव बनाकर देने के लिए कहा था।
जनता की जेब पर पड़ेगा, सीधा असर
जिन स्थानों में डीएलसी दरों में 15 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, पुरुषों को 50 लाख रुपए कीमत के एक मकान या भूखंड की रजिस्ट्री करवाने पर 66 हजार रुपए ज्यादा देना होगा, जबकि महिलाओं को 56 हजार 250 रुपए ज्यादा देना होगा।