home page

विधवा महिला का संपत्ति में कितना है हक, Supreme Court और High Court के ये बड़े आदेश

पहले लड़कियों के छोटी उम्र में शादी कर दी जाती थी और वह जल्द विधवा हो जाती थी। हिंदू धर्म में विधवा महिला को दूसरी शादी करने की इजाजत नहीं होती है। ऐसे में विधवा महिला के भरण पोषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।

 | 
What is the right of a widow woman in property, these big orders of Supreme Court and High Court

Saral Kisan News : भारत में महिलाओं के अधिकारों को लेकर आजादी से पहले भी और उसके बाद में कई आंदोलन हुए. कई कानून बने. बेटियों के अधिकार हो या विवाहित महिलाओं के अधिकार हो. लेकिन आज हम विधवा महिलाओं के कानूनी अधिकारों के बारे में विस्तार से बात करेंगे। 16 जुलाई विधवा महिलाओं के अधिकारों के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है. क्योंकि इसी दिन हिंदू धर्म में ऊंची जाति के विधवा महिलाओं को दूसरा विवाह करने का हक मिला था. क्योंकि प्राचीन समय में अगर हिंदू धर्म की महिला कम उम्र में विधवा हो जाती थी. तो उसको दूसरा विवाह करने की इजाजत नहीं होती थी. 16 जुलाई 1856 के बाद से विधवा महिलाओं को पुनर्विवाह का अधिकार मिला. जिसमें उस वक्त के समाजसेवी ईश्वरचंद्र विद्यासागर का बड़ा योगदान था. 

इसके लिए ईश्वरचंद विद्यासागर ने अपने ही बेटे का विवाह एक विधवा महिला से कराया. आजादी के बाद भारत में संविधान से लेकर न्यायपालिका ने महिलाओं के हक को लेकर कई बड़े फैसले दिए है. ऐसे ही कुछ फैसलों का आगे जिक्र है. जो विधवा महिलाओं के अधिकारों की बात करते है. 

महिला का भरण-पोषण करेगा ससुर

इस मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हिंदू विधवा महिला के विधवा होने के बाद के जीवन पर फैसला सुनाया. हाईकोर्ट ने विधवा महिला के भरण पोषण को लेकर कहा कि अगर किसी हिंदू विधवा महिला की आमदनी बहुत कम हो, या संपत्ति भी इतनी कम हो कि वो अपना भरण पोषण नहीं कर सकती है. तो वो अपने ससुर से भरण पोषण का दावा कर सकती है. कोर्ट ने ये भी कहा कि भले ही पति की मौत के बाद ससुर उस महिला को घर से निकाल दे या महिला अपनी मर्जी से अलग रहती हो. लेकिन फिर भी महिला भरण पोषण का दावा कर सकती है.

दूसरी शादी के बाद पहले पति की संपत्ति में हक

इस बारे में कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है. ये फैसला इन स्थितियों पर है. कि अगर कोई विधवा महिला दूसरी शादी कर लेती है. तो क्या उसका पहले पति की संपत्ति पर दावा हो सकता है. कर्नाटक हाईकोर्ट का कहना है कि भले ही विधवा महिला दूसरी शादी कर ले. लेकिन मृत पति ( पहले पति ) की संपत्ति से उसका हक खत्म नहीं हो जाता है. 

पति की संपत्ति पर पूरा हक

इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. ये फैसला उन हालातों पर है. जब पति के जिंदा रहते किसी संपत्ति पर महिला का सीमित अधिकार हो. पति के जीवित रहते उस संपत्ति की देखभाल का काम वही महिला करती हो. तो पति की मौत के बाद उस संपत्ति पर उसी महिला का पूरा अधिकार हो जाएगा. मौत के साथ ही सीमित अधिकार पूर्ण अधिकार में बदल जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू उत्तराधिकार कानून 1956 के सेक्शन 14(1) का हवाला दिया. 

पहले पति की संतान भी दूसरे पति की संपत्ति में हकदार

हाईकोर्ट ने इस मामले में बेहद अहम फैसला दिया है. हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम की धारा 15 का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अगर किसी विधवा महिला की वसीयत करने से पहले ही मौत हो जाती है. तो उसकी संतान की उसकी पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी होगी. भले ही वो संतान पहले पति की हो, दूसरे पति की हो, या अवैध संबंधों से जन्मी हो. कोर्ट ने कहा कि अगर कोई महिला दूसरा विवाद करती है. तो पहले पति से जन्मी संतान भी उसके दूसरे पति की संपत्ति में हिस्सेदार होगी. 

पीहर पक्ष भी उत्तराधिकार का हकदार

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर किसी हिंदू विधवा महिला की मौत हो जाती है. और वैसी स्थिति में उसकी कोई संतान न हो. उसकी संपत्ति का कोई उत्तराधिकारी न हो. तो उसके पीहर ( मायके ) के लोग भी उत्तराधिकार के हकदार होते है. कोर्ट ने कहा कि मायके से हक जताने वाले परिजनों को परिवार से बाहर का नहीं कहा जा सकता है. 

विधवा का पति की संपत्ति में अधिकार

भारतीय संविधान में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत अगर किसी महिला के पति की अचानक मौत हो जाती है. वसीयत छोड़े बिना ही उसकी मौत हो जाती है. तो वैसी स्थिति में उसकी विधवा पत्नी भी उसकी संपत्ति के एक हिस्से का हकदार होगी. 

इस आर्टिकल में हमनें कुछ ऐसे उदाहरण दिखाए है जिसमें देश के अलग अलग हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेशों के जरिए विधवा महिलाओं के अधिकारों को लेकर कुछ फैसले सुनाए है. आपको अगर ये लेख पसंद आया हो तो शेयर जरुर कीजिए.

ये पढ़ें : उत्तर प्रदेश के 85 गांवों की जगह पर बसाया जाएगा ये नया शहर, पहले चरण में 3 हजार हेक्टेयर जमीन होगी अधिग्रहण

Latest News

Featured

You May Like