भारत का INDIA कैसे रखा गया नाम, जानिए क्या है इन बड़े देशों के असली नाम
Saral Kisan: I.N.D.I.A. की खूब चर्चा है, जिसका पूरा मतलब इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस है. हालांकि इसके अलग-अलग मतलब निकाले जा रहे हैं. एक शख्स ने ऐसा नाम रखने को कानून का उल्लंघन बताते हुए दिल्ली पुलिस में शिकायत तक कर दी. इस बीच ये बात भी आ रही है कि भारत का नाम इंडिया कैसे पड़ा और क्यों लगभग सभी देशों के कई नाम होते हैं.
पहली बार नहीं है जब 'इंडिया' नाम पर इस तरह का बवाल हो रहा है. साल 2020 में तो सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका भी दायर हुई थी. इसमें देश का नाम संविधान में दर्ज 'इंडिया दैट इज भारत' को बदलकर सिर्फ 'भारत' करने की मांग की गई थी. याचिकाकर्ता का दावा था कि 'इंडिया' ग्रीक शब्द 'इंडिका' से आया है और इस नाम को हटा देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था.
अंग्रेजी या कोई दूसरी यूरोपीय भाषा बोलने वाले लोगों को अक्सर पूर्वी नामों का उच्चारण करने में परेशानी होती थी. वे अपनी सुविधा अनुसार नामों में बदलाव कर लेते थे और चूंकि वे लोग ज्यादा घूमते थे और ताकत भी रखते थे, तो वही नाम चलन में भी आ जाते थे.
पर भारत नाम कैसे आया?
प्राचीन समय से ही हमारे देश के कई सारे नाम रहे हैं. जैसे- जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंद, हिंदुस्तान, भारत, इंडिया. पर इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय भारत है. भारत नाम को लेकर कई सारे मतभेद भी हैं. अलग-अलग जमाने में हुए इतिहासकारों और प्राचीन ग्रंथों में इसे लेकर कई सारी बातें हैं. विष्णु पुराण में लिखा है- 'समुद्र के उत्तर से लेकर हिमालय के दक्षिण में जो देश है, वही भारत है और यहां रहने वाले भारतीय.' इसका मतलब हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक समझा जाता है.
किस 'भरत' का भारत?
ऐसा माना जाता है कि भारत नाम 'भरत' के नाम पर पड़ा है. लेकिन पौराणिक काल में भरत नाम के कई लोग हुए हैं.
महाभारत के अनुसार, हस्तिनापुर के महाराजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत थे. भरत एक चक्रवर्ती सम्राट थे यानी चारों दिशाओं की भूमि के स्वामी थे. कहा जाता है कि सम्राट भरत के नाम पर ही 'भारतवर्ष' नाम पड़ा. संस्कृत में वर्ष का अर्थ इलाका या हिस्सा भी होता है.
वहीं एक भरत और हैं, जिनके नाम से देश के नाम को जोड़ा जाता है. दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र ये भरत वही हैं, जिन्होंने बचपन में शेर के मुंह में हाथ डालकर उसके दांत गिने थे. ज्यादातर इतिहासकारों और भाषाविदों का यही मानना है कि इन्हीं के नाम पर देश का नाम 'भारत' पड़ा.
फिर इंडिया क्या है?
जब अंग्रेज भारत में आए उस समय हमारे देश को हिन्दुस्तान कहा जाता था, हालांकि, ये शब्द बोलने में उन्हें परेशानी होती थी. ब्रिटिश सरकार को पता लगा कि भारत की सभ्यता सिंधु घाटी है जिसे इंडस वैली भी कहा जाता है. इस शब्द को लैटिन भाषा में इंडिया भी कहते हैं. तो उन्होंने भारत को इंडिया कहना शुरू कर दिया. इसके बाद यही नाम लोकप्रिय हो गया. वैसे इस थ्योरी पर भी कई विवाद हैं, लेकिन बड़ा तबका इसी की बात करता है.
हर देश के कई नाम
जिस तरह भारत को हिंदुस्तान, इंडिया, भारतवर्ष कहते हैं, वैसे ही हरेक देश के कई नाम होते हैं. यहां तक कि हर देश, दूसरी कंट्री को अलग नाम से जानता है. मसलन, स्पेनिश लोग जर्मनी को अलेमानिया कहते हैं. पोलैंड इसे निएम्सी कहता है और अमेरिका इसे जर्मनी कहता है. वहीं खुद जर्मन्स अपने देश को डॉयच्लैंड बुलाते हैं. ये एंडोनिम है, जो स्थानीय लोगों का दिया हुआ नाम है और जर्मनी के भीतर ही चलता है. जबकि बाकी देश जर्मनी को जिन भी नामों से जानते हैं, वो एक्सोनिम है.
जर्मनी नाम अपने-आप में अंग्रेजी एक्सोनिम है. जैसे भारत का इंग्लिश एक्सोनिम इंडिया हुआ. चीन भी एक एक्सोनिम है, जो हम भारतीयों ने उसे दिया. वैसे चीन का असल नाम जंग्वा (Zhōngguó) है. चीन का अंग्रेजी एक्सोनिम चाइना है, जो जाहिर तौर पर ज्यादा चलन में है.
दूसरे देशों को नया नाम देने की जरूरत ही क्या?
इसमें भाषाविदों का खास रोल नहीं है, बल्कि ऐसा स्थानीय लोगों की वजह से होता है. जैसे किसी खास वक्त में कोई देश कैसा था, क्या उसमें कोई लंबी नदी होती थी, या फिर क्या वहां के लोग ज्यादा लड़ाके या शांत स्वभाव के थे, इन सब चीजों को मिलाकर उस देश की पहचान बनती. हर पड़ोसी उसे अपने नजरिए से देखता और अपनी भाषा में एक नाम दे देता था. यही वजह है कि लगभग सारे देशों के कई नाम हैं.
इसकी एक वजह और भी है। हजारों साल पहले दुनिया खोजी ही जा रही थी. तब सैलानी किसी नई जगह पहुंचते और वहां के लोगों से उनके द्वीप या देश का नाम पूछते. ये नाम लेकर वे अपने देश लौटते थे. चूंकि भाषाएं एकदम अलग-अलग थीं, तो नाम बिगड़ते देर नहीं लगती थी। ऐसे भी नाम मिले-बिगड़े।