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देश में सीमेंट आने से पहले कैसे बनाया जाता था मकान, कौन सी चीज से मिलती है मजबूती

देश में आपने कई बार कुतुब मीनार, लाल किला, हुमायूं का मकबरा जैसी कई ऐतिहासिक इमारतें देखी होंगी। यहां हर महल, किले और हर ऐतिहासिक इमारत की अपनी अलग-अलग कहानी है, इन सभी ऐतिहासिक इमारतों में एक बड़ी ही कॉमन बात छिपी है,
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How were houses built before cement came into the country, what provided strength?

Historical Building: आपने कभी सोचा है, आखिर भारत में कैसे किले और महल को मजबूती के साथ बनाया जाता है, बता दें उस दौरान सीमेंट का कोई चलन भी नहीं था, तो फिर कैसे किले और महल इतनी मजबूती के साथ खड़े हैं।

देश में आपने कई बार कुतुब मीनार, लाल किला, हुमायूं का मकबरा जैसी कई ऐतिहासिक इमारतें देखी होंगी। यहां हर महल, किले और हर ऐतिहासिक इमारत की अपनी अलग-अलग कहानी है, इन सभी ऐतिहासिक इमारतों में एक बड़ी ही कॉमन बात छिपी है, वो है यहां की मजबूती। इतनी पुरानी होने के बाद भी आज भी ये वैसी की वैसी खड़ी हैं।

जिस तरह से आज के समय में आप अपना घर बनाने के लिए ईंट, सीमेंट और सरिए का इस्तेमाल करते हैं, उसी तरह आपको क्या लगता है यही सामान तब भी उपयोग में लिया जाता था? नहीं ऐसा नहीं है, सीमेंट की जगह पर किसी और चीज का इस्तेमाल किया जाता था। चलिए आपको पूरी जानकारी देते हैं।
सीमेंट का इस्तेमाल यहां किया गया था

सीमेंट का इस्तेमाल सबसे पहले इग्लैंड के जोसेफ आस्पडिन नाम के एक अंग्रेज वैज्ञानिक द्वारा 1824 ई. में किया गया था। जोसेफ ने अपने इस आविष्कार का नाम पोर्टलैंड सीमेंट रखा था। क्योंकि इनका ये सीमेंट पोर्टलैंड में मिलने वाले चूना प्रस्तरों से काफी मिलता जुलता था। ऐसे में कहते हैं कि ताजमहल के साथ-साथ देश की सभी ऐतिहासिक इमारतों का निर्माण सीमेंट की खोज से पहले ही आकर दिया गया था।

ताजमहल है काफी पुराना

ऐतिहासिक इमारतों में अगर अपने देश की फेमस और दुनिया के साथ अजूबों में शामिल ताजमहल की बात की जाए तो ये काफी हजारों साल पुरानी है, लेकिन आज भी इसकी चमक वैसी की वैसी है। आज भी ये बड़ी मजबूती के साथ अपनी जगह पर बना हुआ है। अब सवाल ये है, जब उस समय तक सीमेंट नहीं बना गया था, तो इन्हें बनाने में कलाकरों ने किन चीजों का उपयोग किया था। यही नहीं, ताजमहल के पत्थरों को चिपकाने के लिए किस चीज का इस्तेमाल किया गया था।

कैसे चिपकाए गए थे संगमरमर के ये पत्थर

आजकल मार्बल या ईंट चिपकाने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। लेकिन पुराने समय में इसके पत्थरों को चिपकाने के लिए या नींव को बनाने के लिए एक खास तरह के मैटीरियल का इस्तेमाल होता था। जानकारी के मुताबिक, ताजमहल की नींव के लिए अलग से 'सरूज' नाम का घोल बनाया गया था। ये चिकनी मिट्टी, लाइन आदि से बनता है। यही नहीं, इनमें गुड़, चीनी, दालें, राल, गोंद आदि को भी मिलाया जाता था। आज इतने साल बाद भी ताजमहल भूकंप, तूफान, हर प्राकृतिक चीज से मुकाबला कर शान के साथ खड़ा है।

किन चीजों से चिपकते थे पत्थर

आज के समय में मकान बनाने के लिए जिन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है, उनकी उम्र 50 साल से 60 साल के लिए होती है। लेकिन पुराने वक्त में बनाए जाने वाले महल किलों में पत्थर का इस्तेमाल होता था। पत्थर की उम्र ईंट कंक्रीट आदि से अधिक होती है और इसमें धूप बारिश आदि को सहने की भी क्षमता है। पुराने वक्त में महल, किले या किसी भी अन्य इमारत को बनाने के लिए पत्थरों को चिपकाने में जानवरों की हड्डियों का चूरा, चूने का पाउडर, वृक्षों की छाल, उड़द की दाल का चूरा, पत्थर, बांस, धातु, इन सबका इस्तेमाल किया जाता था।

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