हाईकोर्ट का कर्मचारियों के हक में आया फैसला, सेवा बहाली का निर्देश जारी
High Court:अगर आप एक कर्मचारी हैं, तो आप इस खबर को सुनेंगे। दरअसल, कर्मचारियों के पक्ष में हाईकोर्ट ने हाल ही में फैसला सुनाया है। इसके परिणामस्वरूप, कोर्ट ने निर्णय दिया कि नियोक्ता को स्वीकृत अवकाश की अवधि को अनाधिकृत अनुपस्थिति मानने का कोई अधिकार नहीं है। कोर्ट के फैसले पर अधिक जानकारी के लिए खबर को पूरा पढ़ें।
High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि नियोक्ता को स्वीकृत अवकाश की अवधि को अनाधिकृत अनुपस्थिति मानने का कोई अधिकार नहीं है। छुट्टी की शर्तों के अनुसार, नियोक्ता को कर्मचारी की आर्थिक स्थिति में कटौती का अधिकार जरूर है। न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की एकल पीठ ने एनटीपीसी के सेवामुक्त प्रशिक्षु विभूषित सिंह की सेवाओं को वरिष्ठता से बहाल करने का आदेश दिया। 2012 में, याची विभूषित सिंह को सोनभद्र के रिहंद नगर में एनटीपीसी में प्रशिक्षु के रूप में नियुक्त किया गया था। याची ने प्रशिक्षण के दौरान एमटेक की पढ़ाई करने के लिए दो वर्ष का वेतन विहीन अवकाश लिया था।
ये भी पढ़ें - मकान मालिक ने कर दी अगर यह गलती तो किराएदार का हो जाएगा मकान पर कब्जा, फिर प्रोपर्टी से धोना पड़ेगा हाथ
एमटेक पाठ्यक्रम के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में वह व्यक्तिगत कारणों से शामिल नहीं हुआ, इसी दौरान वर्ष 2018 में उसने विवाह भी किया। अध्ययन अवकाश की अवधि खत्म होने पर नौकरी पर लौटा तो विभाग ने उसे पदमुक्त मानते हुए ज्वाइन कराने से इन्कार कर दिया। सेवामुक्ति के खिलाफ याची ने सक्षम अधिकारी के समक्ष अपील दाखिल की, जो पोषणीयता के आधार पर यह कहते हुए खारिज कर दी गई कि यासी संस्थान सा स्थायी कर्मचारी नहीं है। सेवामुक्ति और अपीलीय अधिकारी के आदेश को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। याची की ओर से पेश अधिवक्ता की दलील थी कि अध्ययन अवकाश सेवा शर्तों के अनुसार दिया गया था। शर्तों में पाठ्यक्रम की सफलता या असफलता की शर्त नहीं थी। याची अवकाश अवधि पूर्ण होने के बाद पुन: काम पर लौट आया था। अध्ययन अवकाश के दौरान पाठ्यक्रम की असफलता किसी कर्मचारी की सेवामुक्ति का आधार नहीं हो सकती।
ये भी पढ़ें - UP Bijli Bill Yojana :बिजली बिल से हो रहे परेशान लोग उठाएं सरकार की इस याेजना का फायदा
जबकि एनटीपीसी की ओर से अधिवक्ता नरेश चंद्र निषाद का कहना था कि याची अस्थायी सेवा में था। याची ने परवीक्षा काल में अध्ययन अवकाश पढ़ाई के लिए लिया लेकिन पाठ्यक्रम पूर्ण नहीं किया। संस्थान द्वारा स्वीकृत अवकाश का दुरुपयोग किया है। इस अवधि में अनाधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने के कारण पदमुक्त किए जाने का आदेश विधि सम्मत है। कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए याची को वरिष्ठता और सेवा की निरंतरता के साथ तत्काल प्रभाव से बहाल करने का आदेश दिया। साथ ही नियोक्ता को वित्तीय परिलब्धियों में कटौती की इजाजत भी दी।