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Lauki Ki Kheti:इस तरीके से करें लौकी की खेती, मिलेगा बढ़िया उत्पादन

बिहार में किसान वैज्ञानिक विधि से लौकी (Lauki ki Kheti) की फसल साल में तीन बार उगाकर अधिक पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं
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Lauki Ki Kheti: Cultivate bottle gourd in this way, you will get good production.

Saral Kisan: किसान अब खेती करने में वैज्ञानिक विधि को अपना रहे है। बिहार में किसान वैज्ञानिक विधि से लौकी (Lauki ki Kheti) की फसल साल में तीन बार उगाकर अधिक पैदावार के साथ अच्छा मुनाफा भी कमा रहे हैं। जायद, खरीफ, रबी सीजन में लौकी की फसल ली जाती है

जायद की बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ मध्य जून से प्रथम जुलाई तक और रबी सितंबर अंत से अक्टूबर के पहले सप्ताह तक लौकी की खेती की जाती है। बिहार में इन दिनों मचान विधि काफी प्रचलित है। मचान विधि बेल वाली सब्जियों के लिए बेहद कारगर विधि मानी जाती है।

उपज और क्वालिटी में होगी जबरदस्त बढ़ोतरी। किसान अगर लौकी की खेती मचान बनाकर करें तो सीजन और ऑफ सीजन दोनों में बेहतर क्वालिटी की लौकी और अधिक उत्पादन कर सकते हैं। बिहार में किसान लौकी की नई किस्म भी लगा रहे हैं, जिसको लोग खूब पसंद कर रहे हैं।

लौकी में हजारा के नाम से नई किस्म आई है, जिसमें एक पौधे पर एक हजार से भी अधिक लौकी आती हैं। इस किस्म की लौकी खाने में स्वादिष्ट होने से मंडियों में भी खूब पसंद की जा रही है। जायद की अगेती बुवाई के लिए मध्य जनवरी में लौकी की नर्सरी की जाती है। लौकी की अगेती बुवाई के लिए यह समय सही है। किसान को फिलहाल लौकी की नर्सरी लगा लेनी चाहिए।

लौकी की किस्में। अर्का नूतन, अर्का श्रेयस, पूसा संतुष्टि, पूसा संदेश, अर्का गंगा, अर्का बहार, पूसा नवीन, पूसा हाइब्रिड-3, सम्राट, काशी बहार, काशी कुंडल, काशी कीर्ति एंव काशी गंगा समेत अन्य किस्मों की लौकी की खेती अधिक पैदवार देती है। वहीं हाइब्रिड किस्में- काशी बहार, पूसा हाइब्रिड 3, और अर्का गंगा आदि लौकी की हाइब्रिड किस्में हैं। जो 50 से 55 दिनों में पैदावार देने लगती हैं। इन किस्मों की औसत उपज 32 से 58 टन प्रति हेक्टेयर के आस पास होती है।

लौकी की खेती में उपयुक्त भूमि। लौकी की खेती को किसी भी क्षेत्र में सफलतापूर्वक की जा सकती है। लौकी की खेती उचित जल निकासी वाली जगह पर किसी भी तरह की भूमि में की जा सकती है। लेकिन उचित जल धारण क्षमता वाली जीवाश्म युक्त हल्की दोमट भूमि इसकी सफल खेती के लिए सर्वोत्तम मानी गयी है।

लौकी की बुआई गर्मी एवं वर्षा के समय में की जाती है। लौकी की फसल पाले को सहन करने में बिल्कुल असमर्थ होती है। इसकी खेती को अलग-अलग मौसम के अनुसार विभिन्न स्थानों पर किया जाता है।

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