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Gold : ज्वैलर्स इस प्रकार करते हैं आपसे ठगी, प्योरिटी, वेस्टेज, बिलिंग का पूरा खेल समझिये

बाजारों में सोने का एक्सचेंज करना इतना जटिल होता है कि सामान्य ग्राहक को कभी भी समझ नहीं आता। और अधिकांश लोगों को उनका सही मूल्य नहीं मिल पाता है। इसी के चलते ज्वैलर आपको बिलिंग पेचों और वेस्टेज में 20 से 30 प्रतिशत तक चूना लगा सकते हैं। डिटेल को जानते हैं..

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Gold: This is how jewelers cheat you, understand the whole game of purity, wastage, billing.

Saral Kisan : सोने की बढ़ती कीमतों और उपलब्धता की कमी के बीच, कई ज्वैलर्स पुराने गहनों को बेचने या एक्सचेंज करने की पेशकश कर रहे हैं. लोग घर में पड़े सोने को भी भुनाना चाहते हैं। पुराने गहनों की खरीद और विनिमय की प्रक्रिया इतनी जटिल है कि सामान्य ग्राहकों को उनके वास्तविक मूल्य का पता नहीं चलता। पुरानी जूलरी की बिक्री या एक्सचेंज में आमतौर पर 5-6% लॉस होता है, लेकिन ज्वैलर प्योरिटी, वेस्टेज और बिलिंग पेचों में 20-30% तक चूना लग सकता है।

पुरानी जूलरी में स्क्रैप वैल्यू काटते हैं ज्वैलर्स - 

करोलबाग में एक गोल्ड टेस्टिंग और असेइंग सेंटर के मालिक संदीप जैन ने बताया, ‘पुरानी जूलरी बेचने से पहले तीन-चार सावधानियां जरूरी हैं। जब आप नई जूलरी लेते हैं तो जौहरी 99% प्योर गोल्ड का मार्केट रेट चार्ज करता है, जबकि जूलरी औसतन 20 कैरेट या लोअर प्योरिटी (80-85%) की होती है, लेकिन जब आप वही जूलरी बेचने जाते हैं तो उसकी प्योरिटी के आधार पर ज्वैलर एक बेस प्राइस तय करता है।

इसके बाद कई तरह की अन्य ‘काट’ शुरू होती है।’ उन्होंने बताया कि अगर आप एक्सचेंज कर रहे हैं तो संभव है कि ज्वैलर नए गहने पर हायर मेकिंग चार्ज लगाए, जबकि आपकी पुरानी जूलरी में स्क्रैप वैल्यू काटे। यह 5-6% हो सकता है। अगर आपकी जूलरी में ज्यादा बारीक डिजाइन या जोड़ हैं, तो अलॉय और दूसरे स्क्रैप के नाम पर और कटौती हो सकती है।

जिससे खरीदा, उसी के पास पाएं सोना बेचने -

चांदनी चौक के ज्वैलर सुशील गोयल ने बताया कि अगर आपके पास पुरानी जूलरी की इनवॉइस है तो बेहतर है कि उसी ज्वैलर के पास जाएं, जहां से खरीदा था। अगर नहीं तो पहले किसी बीआईएस सेंटर से अपने गहने की टेस्टिंग करा लें, जिसमें बमुश्किल 50-60 रुपये ही खर्च आता है। इसके बाद आप बेहतर बार्गेन कर सकेंगे। हमेशा दो-तीन ज्वैलर्स के पास जाकर कोट लेना चाहिए कि कौन बेहतर मूल्य दे रहा है।

GST का हवाला देकर वैल्यू घटा रहे ज्वैलर -

मार्केट जानकार यह भी बताते हैं कि जीएसटी लागू होने के बाद से कई ज्वैलर सोना बेचने वाले ग्राहकों पर 3% जीएसटी की देनदारी बताते हुए मूल्य घटा देते हैं, जो गलत है। सरकार साफ कर चुकी है कि गहने बेचने वालों पर कोई जीएसटी चार्ज नहीं होगा। RCM का प्रावधान केवल अनरजिस्टर्ड ज्वैलर से रजिस्टर्ड ज्वैलर को होने वाली बिक्री पर ही लागू होगा। यह भी ध्यान रखना होगा कि एक्सचेंज के मामले में ज्वैलर सिर्फ मेकिंग चार्ज की रकम पर 5% जीएसटी चार्ज कर सकता है न कि नए गहने के मूल्य पर।

कस्टम ड्यूटी से गोल्ड सप्लाई टाइट -

सोने पर कस्टम ड्यूटी 10% से 12.5% होने के बाद से ही गोल्ड सप्लाई टाइट है, अब कीमतें 40,000 के पार जाने होने के बाद ज्वैलर नया स्टॉक नहीं ले रहे। इसकी जगह वे ग्राहकों को ही पुरानी जूलरी बेचने या एक्सचेंज करने को प्रेरित कर रहे हैं।

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